भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

केंद्र सरकार की ना… प्रदेश में धान की टेस्ट मिलिंग पर रोक

भोपाल। धान की मिलिंग को लेकर मिलर्स द्वारा बनाये गए दबाव के आगे झुकी प्रदेश सरकार के टेस्ट मिलिंग के प्रस्ताव को भारत सरकार ने हाल फिलहाल स्वीकार नहीं किया है। इसके बाद अब पूरे प्रदेश में टेस्ट मिलिंग पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस बार मिलिंग के दौरान खराब धान की बात कर आंदोलित मिलर्स को मनाने के लिए पहले तो शासन ने टेस्ट मिलिंग के साथ ही यह तुगलकी फरमान जारी कर दिया था कि टेस्ट मिलिंग में जो धान खराब मिलेगी उस धान को अगले सीजन में समर्थन मूल्य पर किसान से नहीं खरीदा जाएगा। अर्थात किसान अपनी पसंद की धान नहीं बो सकेंगे। लेकिन बाद में शासन ने इस आदेश को वापस ले लिया था। अब भारत सरकार से हरी झण्डी नहीं मिलने पर टेस्ट मिलिंग को भी स्थगित कर दिया गया है।

प्रमुख सचिव ने जारी किए आदेश
इस संबंध में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने कलेक्टर सहित जिला खाद्य अधिकारी, जिला पंजीयक और महाप्रबंधक केन्द्रीय सहकारी बैंक को आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि पूर्व में जिला स्तर पर टेस्ट मिलिंग के निर्देश दिए गए थे। टेस्ट मिलिंग के आउट टर्न रेसियो के संबंध में आईआईएफपीटी के द्वारा राष्ट्र व्यापी अध्ययन किया जाकर रिपोर्ट खाद्य मंत्रालय भारत शासन को दी गई है। लेकिन भारत शासन से अभी तक आउट टर्न रेसियो के संबंध में कोई निर्णय नहीं मिला है इसलिए निर्णय प्राप्त होने तक टेस्ट मिलिंग को स्थगित किया जाता है।

एफसीआई और राजनीतिक कारण
इस मामले में जानकारों का कहना है कि प्रदेश शासन के प्रस्ताव को एफसीआई ने मानने से इंकार कर दिया है। क्योंकि अगर यहां ऐसा करते हैं तो अन्य राज्यों के लिए भी यह उदाहरण बन सकता है। दूसरा किसान आंदोलन से वैसे ही अभी तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं ऐसे में अगर टेस्ट मिलिंग की जाती है और इसकी रिपोर्ट अगर खराब आती है तो धान की कमियों पर फोकस करना पड़ेगा जिसका असर किसानों के हितों के विरुद्ध जाएगा। जो एक नई समस्या पैदा कर सकता है। ऐसे में राजनीतिक सपोर्ट की स्थिति भी नहीं बनेगी। लिहाजा अभी टेस्ट मिलिंग के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

यह है टेस्ट मिलिंग
सरकारी धान की खरीदी होने के बाद इससे चावल निकालने के लिए मिलिंग का काम किया जाता है। यह धान मिलर्स को दी जाती है। दी गई धान के एवज में 67 फीसदी अच्छी धान चाही जाती है। लेकिन मिलर्स का कहना है कि जो धान प्रदेश में खरीदी जा रही है उससे 50 फीसदी भी अच्छी धान नहीं निकल रही है। ऐसे में उन्हें नुकसान होता है। इसके लिए उनकी मांग है कि खरीदी गई धान की पहले टेस्ट मिलिंग की जाए। इसमें जो ब्रोकन निकले उसके आधार पर ही उनका भुगतान किया जाए।

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