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चेन्नई के सर्जन ने तैयार किया 3डी प्रिंटेड हार्ट वॉल्व डिजाइन

चैन्‍नई। मेड इन इंडिया (made in India) यानि हर सामान भारत में ही निर्मित हो इसी लक्ष्‍य को लेकर आज भारत में सबसे ज्‍यादा सामान का निर्माण किया जाने लगा। चाहे उद्योग से संबंधित हो दवाईयां, किन्‍तु चैन्‍नई के एक हार्ट सर्जन ने एक ओर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने भारत का पहला 3-डी प्रिंटेड हार्ट वॉल्व (3-D Printed Heart Valve) डिजाइन और विकसित किया है, जिससे हर साल हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत वाले हजारों मरीजों लाभ मिलेगा।
बता दें कि इसका इस्तेमाल वाल्व को बदलने में किया जा सकता है। यह 3डी प्रिंटेड विशेष बायोपॉलिमर हार्ट वाल्व वर्तमान में धातु के घटकों (मैकेनिकल) या पशु ऊतक (बायोप्रोस्थेटिक) से बनता है। डॉ संजय चेरियन के अनुसार, विशेष बायोपॉलिमर से बने 3डी प्रिंटेड हार्ट वाल्व, जो मानव ऊतक के समान होते हैं, सीधे हृदय रोगियों में लगाए जा सकते हैं, जिन्हें वाल्व बदलने की आवश्यकता होती है।



बता दें कि इस समय हृदय वाल्व का आयात अमेरिका से होता है और इसकी लागत 45000-80000 रुपये के बीच है। डॉ. चेरियन  ‘मेड इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत इसका निर्माण भारत में ही करना चाहते हैं, जिसकी कीमत अमेरिका से आयातित वाल्व की तुलना में काफी कम होगी।  लगभग एक साल से इस परियोजना पर शोध कर रहे डॉ. चेरियन ने कहा कि ‘हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमने भारत का पहला 3डी प्रिंटेड हार्ट वॉल्व डिजाइन और विकसित किया है। हम चार अलग-अलग प्रोटोटाइपके साथ आए और यह चौथी पीढ़ी है। ऐसा लगता है कि यह अच्छी तरह से काम कर रहा है।’
उन्होंने यह भी कहा कि यह वैज्ञानिक नवाचार सेंटर फॉर ऑटोमेशन एंड स्कूल ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी), चेन्नई के सहयोग से किया गया था। डॉ चेरियन ने दावा किया कि 3डी प्रिंटेड हार्ट वॉल्व वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा और इम्प्लांट को स्वीकार करने की संभावना में काफी सुधार करेगा। उन्होंने कहा कि ‘वाल्व सर्जरी आधी सदी से अधिक समय से की जा रही है। कई मामलों में मरीज 5 या 10 साल के बाद वाल्व से संक्रमित हो जाते हैं या जानवरों के  ऊतकों से बने वाल्व फट जाते हैं।


अपनी प्रेरणा के बारे में उन्होंने कहा कि हम चिकित्सा के क्षेत्र में 3डी प्रिंटिंग की अवधारणा पर व्यापक शोध कर रहे हैं। पहले, 3डी प्रिंटिंग का उपयोग सर्जिकल दृष्टिकोण की योजना बनाने के लिए किया जाता था, विशेष रूप से जटिल प्रक्रियाओं के लिए, ताकि कार्डियक सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट को नेविगेट करने और हृदय रोगों के इलाज के लिए सर्वोत्तम दृष्टिकोण चुनने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि इस 3डी प्रिंटेड हार्ट वॉल्व को पेटेंट कराने और इसकी बायोकम्पैटिबिलिटी, प्रभावोत्पादकता और टिकाऊपन की पुष्टि करने के लिए परीक्षण की प्रक्रिया जारी है।

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