इस्लामाबाद। चीन (China) ने 2017 और 2021 के बीच लड़ाकू विमानों, युद्धपोतों, पनडुब्बियों और मिसाइलों (Fighters, warships, submarines and missiles) सहित प्रमुख हथियारों के पाकिस्तान (Pakistan) के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता (largest arms supplier) के रूप में अपनी जगह पक्की कर ली है। हथियारों के हस्तांतरण और संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक स्वतंत्र संस्थान स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) (Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI)) ने इसका खुलासा किया है।
2017 और 2021 के बीच बीजिंग ने इस्लामाबाद की प्रमुख हथियारों की मांग का 72% पूरा किया। इसके विपरीत चीन द्वारा निर्यात किए गए सभी प्रमुख हथियारों का 47% इस अवधि के दौरान पाकिस्तान को दिया गया। पाकिस्तान ने 2012-16 में चीन से अपने हथियारों का 67 फीसदी आयात किया, जो कि 2007-11 में सिर्फ 39 फीसदी था।
सिपरी के विश्लेषण से यह भी सामने आया कि दोनों देशों के बीच हुए कई सौदों को “संयुक्त उत्पादन” या “संयुक्त कार्यक्रम” का लेबल दिया गया है। दोनों देशों के बीच शीर्ष हथियारों के सौदों में जेएफ -17 लड़ाकू विमानों की निरंतर आपूर्ति शामिल है, जिसमें इस साल शुरू होने वाले “बेहतर” ब्लॉक -3 संस्करण की डिलीवरी शामिल है। सिपरी के “ट्रेंड्स इन इंटरनेशनल आर्म्स ट्रांसफर, 2021” के तहत संकलित डेटा से इसका खुलासा होता है।
सिपरी के आर्म्स ट्रांसफर प्रोग्राम के एक वरिष्ठ शोधकर्ता सिमोन वेज़मैन ने कहा, “जे -10 लड़ाकू विमानों के पहले बैच की डिलीवरी इस साल की शुरुआत में शुरू हुई, जो चीन द्वारा इस विमान का पहला निर्यात था। यह JF-17 की तुलना में अधिक उन्नत है।”
वेज़मैन ने बताया, ”चीन केवल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति नहीं कर रहा है। लड़ाकू विमानों के साथ विभिन्न प्रकार के गाइडेड बम और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों के साथ ही उन्नत लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी भेज रहा है।” भारत द्वारा फ्रांस से राफेल के अधिग्रहण के बाद इसमें और तेजी देखने को मिली है।
चीन के बाद पाकिस्तान 2017-21 के बीच स्वीडन (6.4%) और रूस (5.6%) से अपने अधिकांश प्रमुख हथियार खरीदा है। हथियारों के अन्य खरीदारों में बांग्लादेश (16%) और थाईलैंड (5%) शामिल है।
एक चीनी विशेषज्ञ ने कहा कि किसी भी देश से हथियार खरीदना पाकिस्तान का अधिकार है। चेंगदू इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स के प्रमुख लॉन्ग जिंगचुन ने कहा, “एक संप्रभु देश के रूप में पाकिस्तान चीन या अमेरिका सहित किसी भी अन्य देश से हथियार खरीद सकता है। इसी तरह भारत किसी से भी हथियार खरीद सकता है, जैसे कि वह रूस, अमेरिका या फ्रांस से खरीद रहा है।”
पूर्व सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीनी सैन्य हार्डवेयर पर पाकिस्तान की निर्भरता सर्वविदित है और पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा, “चीनी हथियारों और प्रणालियों पर पाकिस्तान की निर्भरता ऐसी है कि वह चीन का ग्राहक राज्य बन गया है। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इस प्रभाव का लाभ उठाती है और पाकिस्तान सेना पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण रखती है जो देश को नियंत्रित करती है।”
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