इंदौर न्यूज़ (Indore News)

पत्रकारों की जमीन भी हड़प गया चिराग, खाकी में मच गई खलबली

मुख्यमंत्री से बड़ा माफिया… अग्निबाण खुलासे के बाद भोपाल तक मच गया हल्ला… आला अफसरों ने फाइलें खंगालना शुरू की, तो प्रशासन ने भी ली प्रकरणों की जानकारी

इंदौर। भूमाफिया बड़ा या मुख्यमंत्री… अग्निबाण के खुलासे के बाद इंदौर से लेकर भोपाल तक पुलिस महकमे में खलबली मच गई। भोपाल के आला अफसरों ने भी इस मामले पर पूछताछ शुरू की, तो इंदौर के अधिकारियों ने भी चिराग शाह से जुड़ी फाइलों की पड़ताल शुरू करवाई कि आखिर उसे किस तरह पुलिस थानों से मदद मिली? दरअसल जब भी ऑपरेशन भूमाफिया (operation land mafia) चलाया गया उसका सर्वाधिक फायदा पुलिस महकमे ने ही उठाया और जिन थानों पर भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, वहां के थाना प्रभारी से लेकर अन्य पुलिसकर्मी मालामाल भी हो गए। चिराग के खिलाफ ही 23 प्रकरणों में पुलिस ने लीपापोती कर डाली, तो दूसरी तरफ जमीन की जंग लडऩे वाले पत्रकारों की जमीन भी चिराग ने हड़प ली। बायपास पर संवाद नगर एक्सटेंशन के नाम से विकसित की जाने वाली कॉलोनी में एक भी पत्रकार को भूखंड नहीं मिला।


संवाद नगर गृह निर्माण संस्था (Samvad Nagar Housing Society) की जमीन प्राधिकरण की टीपीएस-9 में भी शामिल रही है, जिसे मुक्त नहीं किया गया है। दरअसल नवलखा के पास जो पुराना संवाद नगर बसा है वहां पर हाउसिंग बोर्ड ने 33 भूखंडों पर मकान बनाकर पत्रकारों को आबंटित किए थे। उसके बाद संवाद नगर एक्सटेंशन की योजना बनी और इसके लिए संवाद नगर गृह निर्माण संस्था का पंजीयन करवाया और बायपास पर भिचौली हब्सी और टिगरियाराव में 8.30 एकड़ आवासीय जमीन खरीदी और फिर इनकी रजिस्ट्रियां संस्था के पक्ष में करवाई गई। संस्था का पंजीकृत पता पहले 2, प्रेस कॉम्प्लेक्स था, जो बाद में 80 वल्लभ नगर और फिर 6, एमजी रोड इन्द्रप्रस्थ टॉवर हो गया। सहकारिता विभाग को जहां पता परिवर्तन की भी सूचना नहीं दी, तो बाद में संस्था के पदाधिकारी बदल गई और आज इस जमीन की कीमत 100 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। बाद में चम्पू-चिराग ने अपने आदमियों को बैठाकर इस पर कब्जा कर लिया। 226 भूखंड विकसित करना बताए, जिनमें संवाद नगर एक्सटेंशन में 120 और तिलक नगर एनएक्स में 79 भूखंडों को नए और फर्जी सदस्य बनाकर आबंटित कर उनकी रजिस्ट्रियां भी कर दी। जबकि संस्था के जो मूल सदस्य यानी पत्रकार थे, उनमें से किसी को भी भूखंड नहीं मिला। लगभग 199 फर्जी सदस्यों को भूखंड बेच डाले। इस पूरी जमीन के फर्जीवाड़े में चिराग शाह भी बड़ा खिलाड़ी रहा। वहीं रसूखदारों के नाम भूखंड आबंटित कर डाले। मजे की बात यह है कि पिछले 15 सालों में भूमाफियाओं के खिलाफ जो तीन बड़े ऑपरेशन चले उनमें मीडिया यानी इंदौर के पत्रकारों ने जमीन की जंग लड़ी, मगर वे अपनी जमीन ही नहीं बचा पाए।

थानों से ही मिलती रही मदद… कोर्ट जाना ही नहीं पड़ा

चिराग शाह के खिलाफ 23 प्रकरण दर्ज हुए। मगर मजे की बात यह है कि किसी एक में भी कोर्ट से जमानत मिलने का आदेश सामने नहीं आया। यानी उसे थानों से ही पूरी राहत मिलती रही। तुकोगंज, बाणगंगा और सर्वाधिक लसूडिय़ा थानों में चिराग के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, जिनमें धारा 420, 467, 468, 471 के साथ 120बी का उसे आरोपी बताया और एफआईआर में पुलिस ने चिराग को इन तमाम धाराओं का गंभीर अपराधी भी माना और भोपाल मुख्यालय के आदेश पर चार थाना प्रभारियों की जो एसआईटी बनी जिसमें गंभीर धाराएं हटाकर चिराग की मदद की और मद्दे के साथ चिराग को पकडऩे के बाद भी पुलिस ने उसे छोड़ दिया।

कालिंदी गोल्ड के पीडि़त लगातार जनसुनवाई में लगा रहे हैं गुहार

सुप्रीम कोर्ट ने चम्पू, धवन और सशर्त जमानत दी। उसमें चिराग भी आरोपी रहा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उसके बारे में कोई निर्णय नहीं दिया। मगर फिनिक्स टाउनशिप, सेटेलाइट हिल्स और कालिंदी गोल्ड के पीडि़त लगातार चक्कर काट रहे हैं और अभी 15 मार्च को प्रशासन को हाईकोर्ट में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करना है। चिराग शाह कालिंदी गोल्ड मामलों में अपराधी रहा है और पिछली कई जनसुनवाई में कालिंदी गोल्ड के पीडि़त हाथों में न्याय दिलवाने की तख्तियां भी लेकर कलेक्टर के सामने पहुंचे हैं, जिन लोगों को प्रशासन ने कब्जे दिलवाए हैं उन पर भी बाद में भूमाफियाओं ने फिर से अपने कब्जे करवा दिए। कालिंदी गोल्ड में ही 90 से अधिक पीडि़त चप्पलें घीस रहे हैं।

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