नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को इलेक्टोरल बॉन्ड केस (Electoral Bond Case) में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को जमकर फटकार लगाई. सर्वोच्च अदालत ने इस दौरान न सिर्फ एसबीआई की याचिका खारिज कर दी बल्कि कड़े शब्दों में चेताया कि अगर 12 मार्च 2024 तक उसे बैंक (Bank) की ओर से डिटेल (details) नहीं दी गई तो देश की सबसे बड़ी अदालत उसके खिलाफ अवमानना का केस (contempt case) चलाएगी.
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने कहा, एसबीआई ने कहा कि कैश कराने वाले की जानकारी भी अलग से रखी है. दोनों को मिलाना कठिन है. 22 हजार से अधिक चुनावी बॉन्ड साल 2019 से 2024 के बीच खरीदे गए. 2 सेट्स में आंकड़े होने के चलते कुल आंकड़ा 44 हजार से अधिक है. ऐसे में उसके मिलान में समय लगेगा. हम एसबीआई का आवेदन खारिज कर रहे हैं. कल यानी 12 मार्च तक आंकड़ा दे दें, जबकि चुनाव आयोग 15 मार्च, 2024 तक उसे प्रकाशित करे. हम अभी एसबीआई पर अवमानना की कार्रवाई नहीं कर रहे पर अब पालन नहीं किया तो अवमानना का मुकदमा चलाएंगे.
SC की वे बड़ी बातें, जो सुनवाई के दौरान उसने SBI से कहीं
- बैंक की ओर से अब तक क्या-क्या किया गया?
- 26 दिनों में आपने आंकड़े देने के लिए क्या कदम उठाए?
- आपके पास सीलबंद लिफाफा है, उसे खोलें और आंकड़े दें
- हमने बैंक से कोई दस्तावेज बनाने के लिए नहीं कहा है
- 15 फरवरी, 2024 के आदेश पर अब तक क्या हुआ?
क्या है पूरा मामला जिसमें SBI को पड़ी फटकार
यह पूरा वाकया तब का है जब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई की एक याचिका पर सुनवाई हुई. बैंक की ओर से इस याचिका में राजनीतिक दलों की ओर से भुनाए गए हर चुनावी बॉन्ड के डिटेल का खुलासा करने के लिए समय-सीमा 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने SBI से क्या-क्या डिटेल मांगी?
देश की सबसे बड़ी अदालत 15 फरवरी, 2024 को ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने उस दौरान चुनावी बॉन्ड्स को ‘‘असंवैधानिक’’ बताते देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई रकम और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का आदेश दिया था.