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CM योगी का भ्रष्टाचार पर कड़ा एक्शन, PWD मंत्री के OSD को हटाया, केन्द्र को वापस भेजने के आदेश

लखनऊ। लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) के इंजीनियरों और अफसरों के तबादले में हुई धांधली में सीएम योगी (CM Yogi) ने कड़ा एक्शन लिया है। पहली गाज विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद (Minister Jitin Prasad) के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) (Officer on Special Duty (OSD) ) अनिल कुमार पांडेय (Anil Kumar Pandey) पर गिरी है। इन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करते हुए भारत सरकार को वापस करने का आदेश शासन ने जारी कर दिया है। पांडेय के खिलाफ विभाग में हुए तबादले में भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें मिली थीं। उन्हें केंद्र सरकार को वापस करते हुए उनके खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान की जांच कराने की केंद्र से संस्तुति की गई है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित तीन आईएएस अधिकारियों की जांच कमेटी की सिफारिश पर की गई है।


अवर सचिव उपभोक्ता मामले, खाद्य और सा‌र्वजनिक वितरण मंत्रालय भारत सरकार में तैनात अनिल कुमार पांडेय नई सरकार के गठन के बाद प्रतिनियुक्ति पर यूपी सरकार में आए थे। इन्हें लोक निर्माण विभाग में विशेष कार्याधिकारी के पद पर यहां तैनाती दी गई थी।

कई अन्य अफसरों पर भी हो सकती है कार्रवाई
तीन वरिष्ठ आईएएस की जांच टीम को तबादले में कई गड़बड़ियां मिली हैं। नियमों को ताक पर रखते हुए कुछ को मनचाही तैनाती देने तो कुछ को पुरानी तैनाती स्थल पर ही सुरक्षित रखा गया। दबाव में पिछली तारीखों में तबादले से संबंधित कई आदेश जारी किए जाने के साक्ष्य मिलने की सूचनाएं भी हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में कई अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

तबादले में इन अनियमितताओं की थीं शिकायतें
तबादले में की गई धांधली की शिकायत करने वालों ने उन अफसरों व अभियंताओं के नामों की सूची दी थी जो 15-20 साल से एक ही स्थान अथवा जिले में जमे हैं। यह भी बताया था कि अवर अभियंता के तबादले के 9 आदेश 29 जून और 7 आदेश 30 जून को किया जाना दर्शाया गया है जबकि पहले 4 आदेश दो जुलाई, दूसरे छह आदेश तीन जुलाई, पांच आदेश चार और एक आदेश सात जुलाई को किया गया। इसकी पुष्टि विभागीय वेबसाइट, मेल आईडी, रजिस्टर्ड डाक और विभागीय व्हाट्सऐप ग्रुप से की जा सकती है।

तबादला सूची जारी होने पर नियमानुसार इसकी प्रति संबंधित समय पर संघ और संगठन को उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन संगठन को इसकी प्रति 11 जुलाई तक उपलब्ध नहीं कराई गई थी। स्टाफ अफसर पर बैक डेट का कार्य 12 जुलाई तक करने का आरोप लगाया गया था। दुर्भावनावश कई अभियंताओं का तबादला 500 किमी. तक दूर करने तथा एक अधिशासी अभियंता के दस दिन के अंदर तीन तबादले और एक खंड में दो अधिशासी अभियंताओं को नई तैनाती दिए जैसी लापरवाहियों की शिकायतें भी थीं।

इसलिए बनाई गई जांच कमेटी
प्रदेश के चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सबसे पहले मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तबादलों में भ्रष्टाचार की आवाज उठाई थी। इस पर मुख्यमंत्री ने तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा, एसीएस गृह अवनीश अवस्थी और एसीएस आबकारी संजय भूसरेड्डी की जांच कमेटी गठित कर दी थी। बाद में पीडब्ल्यूडी में भी तबादलों में गड़बड़ी का खुलासा हुआ तो मुख्यमंत्री ने पीडब्ल्यूडी में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए एपीसी मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक अन्य कमेटी बना दी थी। यह कार्रवाई इसी कमेटी की जांच के बाद हुई है।

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