भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

आयुक्त नि:शक्तजन पर मूक बधिर बालिकाओं से दुराचार के आरोपी को बचाने का आरोप

  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने पुलिस आयुक्त भोपाल से मांगी जांच रिपोर्ट

भोपाल। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने आयुक्त नि:शक्तजन मप्र संदीप रजक के खिलाफ पुलिस कमिश्नर भोपाल और प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय विभाग को जांच के आदेश दिए हैं। आयुक्त के खिलाफ मूक बधिर बालिकाओं ने राष्ट्रीय जनजाति आयोग में शिकायत की थी। जिसमें बताया कि 5 साल पहले भोपाल के अवधपुरी स्थित छात्रावास में बंधक बनाकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी अश्विनी शर्मा के संबंधितों से प्रभावित होकर संदीप रजक उन पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। पीडि़ताओं ने आयोग को भेजी शिकायत में बताया कि वे अभी इंदौर के आनंद सर्विस सोसायटी के छात्रावास में रह रही हैं। जिसके संचालक ज्ञानेन्द्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित हैं। संदीप रजक उनके नाम का उपयोग करके आनंद सर्विस सोसायटी के संचालक दंपति ज्ञानेन्द्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित को प्रताडि़त कर रहे हैं। वे गुमनाम शिकायतों को आधार बनाकर पुरोहित दंपति के खिलाफ इंदौर, धार और अलीराजपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर जांच करवा रहे हैं। इसके बाद अलीराजपुर में एसटी वर्ग के छात्रावास के संचालन का कार्य आनंद सर्विस सोसायटी से वापस ले लिया गया है। शिकायत में अगस्त 2018 में इंदौर के तुकोगंज थाने में आरोपी अश्विनी शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर्र की प्रति भी शामिल की गई है।


आरोप गलत, उनके खिलाफ चल रही हैं जाचें: रजक
इस मामले में आयुक्त नि: शक्तजन संदीप रजक का कहना है कि उनका कार्यालय आनंद सर्विस सोसायटी के संचालक ज्ञानेन्द्र पुरोहित एवं मोनिका पुरोहित के खिलाफ जांच करवा रहा है। कार्यालय को इनके खिलाफ गंभीर शिकायतें मिलती रही हैं। जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जांच को प्रभावित करने के लिए ही आनंद सर्विस सोसायटी के संचालकों ने मूक बधिर बालिका और उनके परिजनों को बरगला करके आयोग में शिकायत की होगी। शिकायत झूठी है। आंनद सर्विस सोसायटी के संचालकों के खिलाफ कथित वित्तीय अनियमितताएं, छात्रावास और अनुदान राशि के गबन जैसी शिकायतें मिली हैं। जिनकी जांच कराई जा रही है। इसके लिए हमारे कार्यालय ने इंदौर, अलीराजपुर और धार जिले के कलेक्टरों को पत्र लिखकर प्रतिवेदन मांगा है। आयुक्त संदीप रजक ने कहा कि जिस मामले को लेकर उनके खिलाफ शिकायत की गई है, वे उस मामले में खुद कार्रवाई कर रहे हैं। इससे आनंद सर्विस सोसायटी के खिलाफ जांच में किसी प्रकार का फर्क नहीं पड़ेगा। मासूम बच्चियों की आड़ लेकर कोई बच नहीं सकता है।

7 दिन में मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने प्रमुुख सचिव सामाजिक न्याय विभाग एवं पुलिस आयुक्त भेापाल को नोटिस जारी कर 7 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही नोटिस में कहा है कि यदि नियम अवधि में उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो फिर संविधान के अनुच्छेद 338क के तहत उसे प्रदत्त सिविल न्यायालय की शिक्तियों का प्रयोग कर सकता है। तथा व्यक्तिगत रूप से या प्रतिनिधि के माध्यम से आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए आपको समन भी जारी किया जा सकता है।

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