भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

आयुक्त नि:शक्तजन ने पकड़ा दिव्यांगों के नाम शिक्षक भर्ती घोटाला

  • मुरैना जिले से 450 दिव्यांग शिक्षकों के चयन पर आयुक्त लोक शिक्षण को नोटिस

भोपाल। आयुक्त नि:शक्तजन कल्याण संदीप रजक ने संविदा शिक्षक वर्ग 3 में दिव्यांग कोटे से शिक्षक चयन में की गई बड़ी गड़बड़ी को पकड़ा है। उन्होंने आयुक्त लोक शिक्षण एवं आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग को नोटिस जारी कर दिव्यांग कोर्ट से चयनित शिक्षकों की सूची मांगी है। आयुक्त को दिव्यांग बच्चों ने शिकायत की थी कि मुरैना जिले से 450 दिव्यांग कोर्ट से शिक्षकों का चयन हुआ है। जबकि प्रदेश में दिव्यांगों के लिए आरक्षित पद 755 थे।
शिकायत में चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं। इसके आधार पर आयुक्त: निशक्तजन ने नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर दिव्यांग कोटे से चयनित शिक्षकों की सूची के साथ उनके दिव्यांगता से जुड़े दस्तावेज भी बुलाए हैं। शिकायत में यह भी बताया कि फर्जी दिव्यांग सर्टिफिके ट से शिक्षक की नौकरी में चयन किया गया है। सूची एवं सर्टिफिकेट आने पर उनकी जांच कराई जाएगी। गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ अपराधिक प्रकरण् दर्ज कराया जाएगा।

आुयक्त ने लिया स्वत: संज्ञान
आयुक्त नि:शक्तजन पर विकलांग कोटे से 755 पदों में से अकेले मुरैना के 450 अभ्यर्थियों का चयन होने पर स्वतं: संज्ञान लिया है। 755 में से अकेले मुरैना जिले से 450 दिव्यांगजन चयनित हुए हैं, जो काफी गंभीर है। रजक ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 में दोनों आयुक्तों को अपने विभाग के दिव्यांगता श्रेणी में चयनित दिव्यांग अभ्यर्थियों/शिक्षकों की सूची 15 दिन के भीतर न्यायालय आयुक्त नि:शक्तजन मध्यप्रदेश को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं।


पहले भी बदनाम रहा है मुरैना
मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) सेवा शर्तें एवं भर्ती नियम के अनुसार कर्मचारी चयन मण्डल मध्यप्रदेश द्वारा प्राथमिक शिक्षक पद के लिये पात्रता परीक्षा परिणाम के आधार पर जारी विज्ञापन के अनुक्रम में दिव्यांगजन के लिये आरक्षित 1086 पदों में से 755 पदों पर विभिन्न दिव्यांगजन का चयन हुआ है। इनमें से 450 दिव्यांगजन अकेले मुरैना जिले से हैं। इससे पहले भी कर्मचारी चयन मंडल की कृषि अधिकारियों की भर्ती परीक्षा में भी मुरैना के अभ्यर्थियो के समान अंक आने का मामला उठा था। तब मप्र भाजपा के नेता पर भी तथाकथित अभ्यर्थियों से संबंध होने के आरोप लगे थे। हालांकि बाद में परीक्षा को ही निरस्त कर दिया था।

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