इंदौर न्यूज़ (Indore News)

3 करोड़ बीघा की जमीन का मुआवजा मात्र 27 लाख, नोटिस मिलने पर भडक़े किसानों ने कहा- इस भाव पर मंत्रीजी की जमीन खरीदने को तैयार

मामला इंदौर-बुधनी रेलवे लाइन के लिए भू-अर्जन अवॉर्ड का, सांवेर के कई गांवों की जमीन हो रही है अधिग्रहित

इंदौर। इंदौर-बुधनी रेल लाइन (Indore-Budhani Railway Line) का काम चल रहा है, जिसके लिए जमीन अधिग्रहण किया जाना है। पिछले दिनों अवॉर्ड घोषित कर अब किसानों को मुआवजा राशि लेने के लिए नोटिस जारी किए जा रहे हैं। चूंकि सांवेर के कई गांवों की जमीन भी इस रेलवे लाइन के लिए अधिग्रहित की जा रही है, जिसमें कदवालीखुर्द भी शामिल है, जहां की जमीन का भाव अभी ढाई से तीन करोड़ रुपए बीघा बताया जा रहा है और किसानों को मात्र 27 लाख रुपए बीघा ही रेलवे द्वारा दिया जा रहा है। इसी गांव में मंत्री तुलसीराम सिलावट की भी जमीन है। लिहाजा किसानों का कहना है कि मंत्रीजी की जमीन को हम 1 करोड़ 27 लाख रुपए बीघा के भाव पर खरीदने को तैयार हैं।


किसानों का कहना है कि अगर उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला तो वे अपनी जमीन नहीं देंगे और इसके खिलाफ प्रदर्शन तो करेंगे ही, वहीं जनप्रतिनिधियों का घेराव भी किया जाएगा। पूर्व जनपद सदस्य और किसान नेता हंसराज मंडलोई ने आरोप लगाया कि इंदौर-बुधनी रेल लाइन के मुआवजे के जो नोटिस किसानों को मिले हैं, उससे उनमें काफी आक्रोश है। उनकी करोड़ों-अरबों की जमीन रेलवे कौडिय़ों के भाव लेने पर आमादा है। सांवेर विधानसभा के ग्राम डकाच्या, राऊखेड़ी, लसूडिय़ा परमार, कदवाली बुजुर्ग, कदवाली खुर्द, बीसाखेड़ी, पिपलिया, कलमा जगमाल, जालोद, सेमलियाचाऊ, शाहीद व अन्य गांवों की जमीन रेलवे लाइन में जा रही है और उसके बदले किसानों को बहुत कम मुआवजा दिया जा रहा है। कदवालीखुर्द के ही एक किसान जितेन्द्र पटेल व अन्य का कहना है कि हमें जो नोटिस मिले हैं, उसमें 27 लाख रुपए बीघा के हिसाब से मुआवजा तय किया गया है, जबकि यहां की जमीन ढाई से तीन करोड़ रुपए बीघा में बिक रही है। रेल लाइन का काम पिछले 6 साल से चल रहा है और पुरानी गाइडलाइन के आधार पर ही मुआवजा तय किया गया, जबकि उसके बाद जमीन का बाजार मूल्य 20 गुना तक बढ़ गया है। किसानों का यह भी कहना है कि यहां पर मंत्रीजी की भी जमीन है। उसे किसान 1 करोड़ 27 लाख रुपए बीघा के हिसाब से लेने को तैयार हैं। चूंकि मंत्री भाजपा सरकार के हैं और केन्द्र में भी भाजपा की सरकार है और उसी का रेलवे मंत्रालय कम मुआवजा दे रहा है, जिसका विरोध मंत्रीजी ने नहीं किया। मंडलोई का यह भी कहना है कि सरकार ने जान-बूझकर गाइडलाइन भी नहीं बढ़ाई, ताकि किसानों को बढ़ी गाइडलाइन के मुताबिक मुआवजा ना देना पड़े। लिहाजा किसानों की मांग है कि बाजार मूल्य की दर से 4 गुना कीमत आंकते हुए मुआवजा दिया जाए, जो कि नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक भी है, साथ ही जिन किसानों की जमीन रेलवे लाइन में जा रही है, उनके परिवार के एक-एक सदस्य को रेलवे विभाग सरकारी नौकरी भी दे, साथ ही जो मुआवजा सरकार दे रही है, वह ब्याज सहित दिया जाए। पर्याप्त मुआवजा ना मिलने की स्थिति में किसान विरोध प्रदर्शन करेंगे। अभी अनुविभागीय अधिकारी और भू-अर्जन अधिकारी सांवेर द्वारा ये नोटिस किसानों को भेजे गए हैं।

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