उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

एक पिता की मजबूरी..अपनी बेटी को हाथों में जंजीर से ताला बांधकर रखना पड़ता है

  • साथ में लेकर जाना हो तो भी जंजीर बाँधना पड़ती है-उपचार भी कराया

उज्जैन। पिता एवं पुत्री का प्रेम जगजाहिर है लेकिन एक व्यक्ति को अपनी इकलौती लड़की को कहीं ले जाना हो तो हाथों में जंजीर बाँधकर ताला लगाना पड़ता है, नहीं तो वह खुद को ही नुकसान पहुँचा लेती है। पिछले कई वर्षों से यही हो रहा है।
उज्जैन के देवास गेट क्षेत्र में एक व्यक्ति एक लड़की को हाथों में जंजीर बांधकर जिसमें ताला लगा हुआ था और जंजीर का एक हिस्सा अपने हाथों में पकड़ा हुआ था और सड़कों पर ले जा रहा था। यह दृश्य देखकर सड़कों पर चलने वाले राहगीर भी चौंक रहे थे। हम भी उत्सुकता वश उस व्यक्ति के पीछे चल दिए वह व्यक्ति उस लड़की को लेकर उज्जैन रेलवे स्टेशन तक गया और फिर हमने उस व्यक्ति को रोक दिया और उससे लड़की के हाथ में बंधी हुई जंजीर और ताले का कारण पूछा तो कारण तो चौंकाने वाला था लेकिन बात बताते-बताते उस व्यक्ति की आंखें भर आई।


व्यक्ति ने बताया कि उसका नाम वीरेंद्र कुशवाह है और वह मूलत: अशोक नगर का रहने वाला है वर्तमान में वह इंदौर के देवगुराडिया में मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है और उसके साथ में उसकी इकलौती बेटी काजल है जिसकी उम्र 13 वर्ष है। वीरेंद्र कुशवाह ने बताया कि उनकी बेटी काफी समय से बीमार है और कई लोगों ने बताया कि उस पर कुछ ऊपरी हवा है जिसके चलते बेटी या तो स्वयं के शरीर को घायल कर लेती है या परिजनों के साथ मारपीट करती है, या फिर सड़कों पर दौड़ कर लोगों को नुकसान पहुंचाती है, ऐसे हालात में ना चाहते हुए भी दिल पर पत्थर रखकर बेटी के हाथों को बांधकर जंजीरों में जकड़ कर ताला बांध कर रखना पड़ता है। पिता विरेंद्र कुशवाह ने बताया कि वह बेटी का कई स्थानों पर इलाज करवा चुके हैं लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा, अब इलाज के लिए वह बेटी को लेकर बागेश्वर धाम जा रहे हैं। ऐसे में वह बेटी को बस में बैठा कर हाथों में जंजीर डालकर ही लेकर आए और ट्रेन में भी इसी तरह से ले जाएंगे। वीरेंद्र कुशवाह कहते हैं कि दिल तो नहीं मानता है लेकिन मैं भी क्या करूं मेरी मजबूरी है।

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