भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

कड़कड़ाती ठंड में खेतों पर ही रात गुजारने की मजबूरी

  • अफीम फसल में फूल आते ही किसानों की बढ़ी चिंता

भोपाल। प्रदेश के मंदसौर सहित कई जिलों के खेतों में खड़ी अफीम की फसल में फूल एवं डोडे आने लगे हैं। अफीम फसल में फूल व डोडे आते ही किसानों की चिंता बढ़ गई है। खेतों में फसल को किसी तरह से कोई नुकसान न हो इसके लिए किसान बेहद सतर्क हैं। अफीम खेतों की रखवाली के लिए कड़ाके की ठंड में भी अधिकांश किसान रात खेतों पर ही बिता रहे हैं। लगभग सभी किसानों ने अफीम के आसपास जाली एवं तिरपाल-साडिय़ां भी बांध रखी है, ताकि रोजड़े एवं अन्य पशु नुकसान न कर सके। पूर्व के वर्षो में जिले में कुछ खेतों से अफीम फसलों से डोडे चोरी होने की घटनाएं भी हुई हैं। इसी को देखते हुए किसान अपने खेतों की सुरक्षा में मुस्तैद हैं। किसानों के अनुसार जनवरी के अंतिम सप्ताह तक अफीम फसल पर डोडे पूरी तरह से आ जाएंगे और फरवरी में चीरा लगाने वाली अवस्था में अफीम पहुंच जाएगी। अफीम की फसल अब तैयार होने की अवस्था में है, इसी के चलते किसान खेतों को सूना नहीं छोड़ रहे हैं। अकेले मंदसौर जिले में इस साल नियमित एवं सीपीएस के पट्टे मिलाकर करीब 17 हजार किसान अफीम की खेती कर रहे हैं। अफीम की फसल की बोवनी नवंबर में हो गई थी। अब तक जिले में 70 से 90 दिन की फसल हो चुकी है। जिलेभर में अफीम की फसल में फूल एवं डोडे आना प्रारंभ हो गए हैं। इस अवस्था में फसल को अनुकूल मौसम की आवश्यकता होती है।


तापमान में कमी होने से फसलों के साथ ही किसानों को भी राहत
विगत दो-तीन दिनों से रात के तापमान में कमी होने से फसलों के साथ ही किसानों को भी राहत है। इस साल सभी किसानों को एक समान 10-10 आरी के पट्टे वितरित हुए हैं। खेतों में अफीम उगते ही किसानों ने सुरक्षा के कदम बढ़ाना शुरू करते हुए खेतों के चारों तरफ जालियां बांधना प्रारंभ कर दिया था। अब फूल ओर डोडे वाली अवस्था में फसल के पहुंचने के साथ ही किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। कड़कड़ाती ठंड में अधिकांश किसान अफीम फसल की पहरेदारी के लिए खेतों पर रात बिता रहे हैं। किसानों का कहना है कि रोजड़े भी बड़ी संख्या में क्षेत्र में घूम रहे हैं, ऐसे में अफीम फसल को किसी तरह से नुकसान न हो इसके लिए किसान रात व दिन में भी खेतों पर ही उपस्थित है। शीतलहर से फसल आडी ना पड़े, इसके लिए कई किसानों ने अफीम खेतों में रस्सी की डोर से जाल भी बांध दी है। कई किसानों ने अफीम के चारों तरफ मक्का की फसल की बोवनी की है ताकि शीतलहर से अफीम फसल में नुकसान न हो सके।

फरवरी में शुरू हो जाएगा लुनाई-चिराई का काम
काला सोना कहीं जाने वाली अफीम की फसल फरवरी में तैयार हो जाएगी। किसानों के अनुसान फसल में फूल के साथ डोड़े भी आ रहे हैं। जनवरी में ही फसल में डोडे पूरी तरह से आ जाएंगे। पांच से 15 फरवरी के बीच जिले में अफीम फसल में लुनाई-चिराई का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। किसानों के अनुसार सबसे ज्यादा लागत अफीम की फसल में ही होती है। दस आरी के पट्टे में खाद, बीज, दवाई सहित अन्य खर्च मिलाकर करीब 30 हजार से ज्यादा का खर्च होता है। किसानों ने बताया कि फसल करीब ढाई माह की हो चुकी है। अब तक सात से आठ बार सिंचाई की गई है। अफीम की फसल में डोडे आने के बाद पक्षी तोते सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे बचाव के लिए पूरे अफीम क्षेत्र में सभी किसानों ने अफीम की फसल के ऊपर नेट की जाल बांध दी। इससे पक्षी अंदर आकर डोडों को नुकसान नहीं पहुंचा सके।

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