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Corona Vaccine: निजी अस्पतालों के लिए आपदा में अवसर बना टीकाकरण

 

नई दिल्ली। देश (India) में वैक्सीन (Vaccine) की कमी के चलते टीकाकरण (Vaccination) 30 दिन में ही 50 फीसदी नीचे आ चुका है। राज्यों को वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है लेकिन मैक्स (Max), अपोलो (Apolo), फोर्टिस सहित तमाम निजी अस्पतालों के पास वैक्सीन की कमी भी नहीं है। इन अस्पतालों के लिए सरकारें अब तक सर्विस चार्ज तक तय नहीं कर पाई हैं और 45 वर्ष से अधिक आयु वालों से अस्पताल में पंजीयन कराने के लिए अलग से फीस भी वसूली जा रही है।

टीकों की कमी के चलते दिल्ली (Delhi) और महाराष्ट्र (Maharastra) सरकार को अपने राज्यों में टीकाकरण केंद्रों को अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ा। जबकि निजी अस्पतालों (Private Hospitals) में टीकाकरण कम होने की वजह पहले की तुलना में और अधिक बढ़ गया है। बाकायदा कोविन वेबसाइट पर निजी अस्पतालों के अनुसार वैक्सीन की कीमत दी हुई है।

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी (Chief Minister YS Jagan Mohan Reddy) ने केंद्र सरकार (central government) को लिखे पत्र में यहां तक कहा है कि उनके राज्य में प्रति खुराक निजी अस्पताल दो से ढाई हजार रुपये तक फीस ले रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां मैक्स हेल्थकेयर के अस्पतालों में 18 से 44 वर्ष की आयु वालों से कोविशील्ड की प्रति खुराक 900 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है। जबकि अस्पताल इसके लिए 600 रुपये खर्च कर रहा है। यानी प्रति खुराक 300 रुपये सर्विस चार्ज लिया जा रहा है जो एक मई से पहले 100 रुपये हुआ करता था। उस दौरान 150 रुपये वैक्सीन की खुराक और 100 रुपये सर्विस चॉर्ज था जिसके चलते एक व्यक्ति को प्रति खुराक 250 रुपये देने होते थे।

राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन न मिलने का असर यह हुआ कि अप्रैल में औसतन प्रति दिन 30,24,362 लोगों को वैक्सीन दी जा रही थी। एक मई से जब युवाओं को वैक्सीन लेने की अनुमति मिली तो यह संख्या घटकर औसतन 16,22,087 खुराक प्रतिदिन पर आ गई। पिछले 10 दिन में ही टीकाकरण में 10 लाख की कमी आई है।

16 जनवरी से शुरू टीकाकरण कार्यक्रम में अब तक 19.60 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। 128 दिनों की इस अवधि में दैनिक औसत टीकाकरण 15.10 लाख है। इसका मतलब है कि भारत औसतन प्रति दिन 0.12 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण कर रहा है, जो दुनिया में सबसे कम टीकाकरण दर है। इतना ही नहीं बीते 11 मई को 23 लाख लोगों ने वैक्सीन लिया था और 21 मई को 13 लाख को ही खुराक मिल पाई।


10 हजार निजी केंद्रों पर कमी नहीं
देश के 20 हजार से भी ज्यादा सरकारी केंद्रों पर लोगों को वैक्सीन नहीं मिल पा रहा है लेकिन 10 हजार निजी केंद्रों पर असर दिखाई नहीं दे रहा। स्थिति यह है कि दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चंडीगढ़, इंदौर, भोपाल, लखनऊ सहित तमाम शहरों में कहीं 50 तो कहीं 300 रुपये प्रति खुराक तक का सर्विस चार्ज लिया जा रहा है। यहां उन लोगों से भी अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है जिनके पास पहले से कोविन पंजीयन नहीं है और केंद्र पर आकर पंजीयन कराना चाहते हैं। सरकार ने भी 45 वर्ष से अधिक आयु वालों को केंद्र पर जाकर पंजीयन कराने की अनुमति भी दी हुई है जिसका फायदा अस्पतालों को हो रहा है।

कहीं 50 तो कहीं 300 रुपये का सर्विस चार्ज 
बंगलूरू के अपोलो में कोविशील्ड की एक खुराक पर 250, मणिपाल 150 और बीजीएस अस्पताल कोवाक्सिन की ही प्रति खुराक पर 50 रुपये का सर्विस चार्ज ले रहा है। तीनों ही अस्पतालों में पंजीयन का अलग से 300 रुपये फीस भी है। दिल्ली के मैक्स और फोर्टिस में कोविशील्ड पर 300 तो कोवाक्सिन पर 50 रुपये सर्विस चार्ज है।

वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाना चंद दिन का काम नहीं है। इसमें काफी वक्त लग सकता है। जहां तक मेरा विचार है जुलाई से पहले देश में यह कमी बनी रहेगी। बाकी वैक्सीन वितरण का फैसला प्रशासनिक और व्यवस्था का है।

– डॉ. एनके अरोड़ा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह

यह देश का दुर्भाग्य है कि सरकारें निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को महामारी में भी काफी बढ़ावा दे रही हैं। राज्यों के पास वैक्सीन नहीं है और निजी अस्पतालों के लिए कोई नियम नहीं है जिसका जो मन होता है वह उतनी फीस ले रहा है।

– प्रो रिजो एम जॉन, सलाहकार, डब्ल्यूएचओ

चार महीने में एक भी बार ऐसा नहीं है जब हमें पर्याप्त वैक्सीन मिली हो। निजी क्षेत्र के बारे में जानकारी हमें भी है और सरकारों को भी लेकिन इन सब के बीच नुकसान एक आम आदमी का हो रहा है।

– डॉ. विवेक त्रिखा, डीडीयू, दिल्ली

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