ब्‍लॉगर

दोगुनी रफ्तार से बढ़ता ओमिक्रोन

– डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

जिस तरह कोरोना के नए वेरिएंट ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है, वह चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है। शुरुआत में इसके संक्रमण से लोगों की मौत नहीं हो रही थी, जिससे उम्मीद बंधी थी कि यह अपना मामूली असर दिखा कर खत्म हो जाएगा लेकिन यह गलत निकला। जिस तरह इसने असर दिखाना शुरू कर दिया है, उससे विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गयी हैं। अफ्रीका से चला ओमिक्रोन लगभग एक माह में दुनिया के 91 देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है।

तेजी से फैलने वाले इस वेरिएंट को लेकर विशेषज्ञों की मानें तो सख्ती नहीं होने पर क्रिसमस तक इंग्लैंड में प्रतिदिन चार लाख संक्रमित आने लगेंगे। इंग्लैंड तो एक उदाहरण है। दुनिया के लगभग सभी देशों में ओमिक्रोन के दूने संक्रमित आने लगे हैं। न्यूयार्क में पहले ही कर्फ्यू लगाया जा चुका है। दुनिया के देशों में अधिकांश जगह हवाई यात्रा खासतौर से अफ्रीका से आने वाली फ्लाइट पर रोक लग चुकी है। यूरोप के अनेक देशों में हालात बिगड़ रहे हैं तो कोरोना की दूसरी लहर जैसे हालात का डर सताने लगा है। यही कारण है कि कई देश लॉकडाउन जैसे अप्रिय पर जरूरी प्रतिबंधों की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। भारत में भी कोरोना के मामलों में तेजी आई है। ओमिक्रोन का संक्रमण अब हमारे देश में भी इकाई-दहाई की संख्या को पार कर चुका है।

दरअसल, कोरोना को लेकर जितने कयास लगाए जा रहे थे सभी निर्मूल सिद्ध हुए। जब 2019 में कोरोना संक्रमण शुरू हुआ तो यह माना जाने लगा कि गर्मियां आते यह अपने आप खत्म हो जाएगा पर ऐसा हुआ नहीं बल्कि 2020 में भयावह दूसरी लहर का हमारे देश सहित दुनिया के देशों ने कहर भुगता। चिकित्सा विज्ञानी पहले ही तीसरी लहर की आशंका व्यक्त कर चुके हैं।

एक ओर सरकारें व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास करती हैं तो थोड़ी-सी ढील ही परेशानी का कारण बन जाती है। यूरोपीय देशों में कोरोना प्रोटोकाल प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं तो अमेरिका जैसे देश में भी सैनिकों के एक वर्ग द्वारा वैक्सीन लगवाने से ही इनकार किया जा रहा है। हालांकि अब अमेरिकी सरकार ऐसे सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई का मन बना चुकी है।

यही हाल कोरोना प्रोटोकॉल के पालन का है। सड़कों या बाजारों में सही तरीके से मास्क लगाए गिने-चुने लोग ही दिखाई देते हैं। दो गज दूरी की बात बेमानी बनकर रह गयी है। ऐसे में कोरोना का कोई वेरियंट हो उससे बच पाना मुश्किल है। चिंता की बात यह है कि ओमिक्रोन, वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों को भी नहीं बख्श रहा है। ऐसे में बूस्टर डोज की बात कही जाने लगी है।

शुरू में माना जा रहा था कि कोरोना का प्रकोप अधिक दिनों नहीं चलेगा पर देखते-देखते दो साल में दुनिया के देश इसके पांच वेरिएंट से रूबरू हो चुके हैं। सितंबर 2020 में इंग्लैंड में अल्फा, मई 2020 में दक्षिण अफ्रीका में बीटा, नवंबर 2020 में ब्राजील में गामा, अक्टूबर 2020 में भारत में डेल्टा और अब ओमिक्रोन ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। वायरस की जीनोमिक संरचना में बदलाव होकर यह नए वेरिएंट का रूप ले लेता है।

दरअसल यह मौसम कोरोना खासतौर से नए वेरिएंट ओमिक्रोन के लिए अधिक अनुकूल है। सर्दी में वायरस अधिक सक्रिय हो जाते हैं। यह तो कोरोना काल है नहीं तो वैसे भी सर्दियों में सर्दी-जुकाम का असर सबसे ज्यादा देखा जाता है। सर्दी-जुकाम वालों को कोरोना या यों कहें कि ओमिक्रोन जल्दी संक्रमित कर देता है, यही कारण है कि यूरोप में ओमिक्रोन का तेजी से फैलाव हुआ है। अब क्रिसमस और नया साल का जश्न सामने हैं तो हमारे यहां अभी शादियों का सीजन निकला ही है। हालांकि यात्रा करने वालोें से यह वायरस फैल रहा है पर जहां एकबार आ जाता है तो फिर संपर्क में आने वाले व्यक्ति को संक्रमित करने में देरी भी नहीं लगाता।

ऐसे हालात को देखते हुए यह समझना होगा कि एकाध साल तो कोरोना के संग ही जीना है। ऐसे में कोरोना कोई नया रूप लेकर आए, उससे पहले सतर्कता ही हमारे जीवन को बचा सकती है। दो गज की दूरी और मास्क जरूरी- जीवन में रच-बस जाना चाहिए। सेनिटाइजर, बार-बार हाथ धोने और गुनगुने पानी के सेवन जैसी सावधानियां रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन जाना चाहिए। सावधानी और सतर्कता आज की आवश्यकता है और यह हमें ध्यान रखना ही होगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Share:

Next Post

तानसेन समारोहः अक्षुण्ण परंपराओं से सजा एक समारोह

Sat Dec 25 , 2021
– हितेन्द्र सिंह भदौरिया भारतीय शास्त्रीय संगीत की अनादि परंपरा के श्रेष्ठ कला मनीषी तानसेन को श्रद्धांजलि व स्वरांजलि देने के लिये ग्वालियर में मनाये जाने वाले तानसेन समारोह ने 96 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है। इस समारोह की सबसे बड़ी खूबी सर्वधर्म समभाव और इससे जुड़ी अक्षुण्ण परंपराएँ है। भारतीय संस्कृति में […]