मध्‍यप्रदेश

मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव का काउंटडाउन शुरू

  • सितंबर के अंत तक विधानसभा उपचुनाव लगभग तय
  • चुनाव आयोग का बयान
  • तय समय पर ही करा लिए जाएंगे विधानसभा उपचुनाव

भोपाल। जानलेवा कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच तमाम अटकलों के दौरान मध्यप्रदेश में खाली हुई 26 विधानसभा सीटों पर अब पूरे जोर-शोर के साथ उपचुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है । अब तक के सबसे बड़े जानलेवा दुश्मन कोरोना वायरस के कारण मध्यप्रदेश में खाली हुई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर तरह-तरह की अटकलें तक लगाई जा रही थी। कई बार तो विधानसभा उपचुनाव के और आगे बढ़ने की भी अटकलें लगने लगी थी, लेकिन अब मध्य प्रदेश चुनाव आयोग की ओर से साफ-साफ बयान आज आ गया है। चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने अपने दिए एक बयान में साफ कर दिया है कि मध्यप्रदेश में रिक्त हुई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव तय समय पर ही करा लिए जाएंगे। इसका मतलब साफ है कि अब सितंबर माह के अंत तक मध्य प्रदेश की सभी खाली हुई 26 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने की संभावना बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार पहले यह भी अटकलें लग रही थी कि मध्यप्रदेश में किलर कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण विधानसभा उपचुनाव प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने अब साफ कर दिया है कि चुनाव अपने तय समय पर ही होंगे। प्रदेश की खाली हुई 26 सीटों पर होने वाले उपचुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं। क्योंकि इस उपचुनाव में जो जीतेगा उसकी ही सरकार मध्यप्रदेश में होगी । इसको लेकर सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस ने काफी पहले से ही उपचुनाव की तैयारियां तेज कर दी है। हालांकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को अब भी झटके पर झटके लग रहे हैं । हाल ही में उसके दो और विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी एवं नेपानगर से विधायक सुमित्रा देवी ने भी अपनी अपनी विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया है, जिससे कांग्रेस को और तगड़ा झटका लगा है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की 2 सीटें कांग्रेस विधायकों के निधन कारण खाली हुई थी, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 समर्थक विधायकों ने पहले इस्तीफा दे दिया था और बाद में कांग्रेस के दो और विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, जिससे अब मध्यप्रदेश में विधानसभा की 26 सीटें खाली हैं, जिन पर विधानसभा का उपचुनाव होना है। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील भी की है कि वे बड़ी रैलियां करने से बचें तथा सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए कोरोना संक्रमण को रोकने में अपनी अपनी भूमिका निभाएं।

Share:

Next Post

हिंदी कैसे बने राष्ट्रभाषा?

Mon Jul 20 , 2020
– डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत में उत्तर प्रदेश हिंदी का सबसे बड़ा गढ़ है लेकिन देखिए कि हिंदी की वहां कैसी दुर्दशा है। इस साल दसवीं और बारहवीं कक्षा के 23 लाख विद्यार्थियों में से लगभग 8 लाख विद्यार्थी हिंदी में अनुतीर्ण हो गए। डूब गए। जो पार लगे, उनमें से भी ज्यादातर किसी तरह […]