देश

Noida के सेक्टर 151-A में बनेगा देश का सबसे बड़ा हेलीपोर्ट, UP सरकार से मिली मंजूरी

नोएडा. राजधानी दिल्ली (Delhi) से सटे जनपद गौतमबुद्ध नगर के सेक्टर 151-A में देश का सबसे बड़े हेलीपोर्ट को मंजूरी मिल गई है. करीब 5 साल से इस परियोजना पर नोएडा विकास प्राधिकरण काम कर रहा था. अब जल्दी ही इस हेलीपोर्ट का निर्माण शुरू होगा. ग्लोबल टेंडर के जरिए कंपनी की तलाश की जाएगी. खास बात यह है कि नोएडा हेलीपोर्ट का निर्माण भी जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (International Airport) की तर्ज पर किया जाएगा.

हेलीपोर्ट के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण जमीन उपलब्ध करवाएगा. जल्दी ही टेंडर निकाला जाएगा. निर्माण करने वाली कंपनी को अगले 30 वर्षों के लिए इस हेलीपोर्ट का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. यही मॉडल जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए अपनाया गया है.

कमर्शियल उड़ान की सुविधा
आपको बता दें कि नोएडा हेलीपोर्ट(Noida Heliport) का उपयोग बहुउद्देशीय होगा. यहां से कमर्शियल उड़ान होंगी. जिनके लिए बेल-412 हेलीकॉप्टर उपयोग होते हैं. इन हेलीकॉप्टर्स में 12 यात्री सवार हो सकते हैं. साथ-साथ वीवीआईपी मूवमेंट के लिए इस्तेमाल होने वाले दुनिया के सबसे बड़े हेलीकॉप्टर एमआई-172(Helicopter Mi-172) भी यहां लैंड-टेकऑफ कर सकेंगे. इन हेलीकॉप्टर की क्षमता 26 यात्रियों को लाने या ले जाने की होती है. इन बड़े हेलीकॉप्टर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नोएडा हेलीपोर्ट का डिजाइन तैयार किया जाएगा.

कनेक्टिविटी बहुत शानदार
यह हेलीपोर्ट नोएडा शहर के सेक्टर-151ए में हेलीपोर्ट विकसित किया जा जाएगा. इस इलाके की कनेक्टिविटी बहुत शानदार है. जिसका फायदा हेलीपोर्ट पर आने वाले यात्रियों को मिलेगा. यह हेलीपोर्ट नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो लाइन के सेक्टर-147 स्टेशन से केवल 3 किलोमीटर दूर है. यमुना एक्सप्रेसवे से दूरी 7 किलोमीटर है. नोएडा शहर से दूरी 17 किलोमीटर है. जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 43 किलोमीटर और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 51 किलोमीटर की दूरी है. ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की दूरी करीब 20 किलोमीटर है.



इन जिलों को होगा फायदा
कुल मिलाकर दिल्ली-एनसीआर के शहर मेरठ, बागपत, सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कुंडली, मानेसर, पलवल, आगरा, मथुरा, हाथरस और बुलंदशहर से हेलीपोर्ट तक पहुंचना बेहद आसान होगा. इन सारे शहरों से हेलीपोर्ट की दूरी 1 से 2 घंटे में तय होती है. जिससे इन सभी जनपदों को इसका फायदा मिलेगा. साथ ही नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे से हेलीपोर्ट सटा हुआ है.

43.13 करोड़ रुपए खर्च होंगे
दरअसल, इस हेलीपोर्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मॉडल) पर बनाया जाएगा. शहर के सेक्टर-151ए में हेलीपोर्ट 9.35 एकड़ में बनेगा और इस पर 43.13 करोड़ रुपये खर्च होंगे. हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट की डीपीआर, डिजाइन और कई दूसरी औपचारिकताओं को राज्य सरकार की ओर से पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है. बुधवार को हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव ने पूरी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी है. अब इस प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला जाएगा. जिसके जरिए कंपनी का चयन होगा. जो कंपनी सर्वाधिक राजस्व विकास प्राधिकरण को देगी, उसे हेलीपोर्ट का निर्माण करने और 30 वर्षों तक संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. इस हेलीपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग होगा. यहां आने वाले यात्रियों को तमाम सुविधाएं दी जाएंगी.

क्या-क्या होगा हेलीपोर्ट पर
जानकारी के मुताबिक, इस हेलीपोर्ट से लगातार 20 यात्री आवागमन कर सकेंगे. इनके लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी. टर्मिनल बिल्डिंग 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाई जाएगी. जिसमें सभी तरह की सुविधाएं होंगी. इस रिपोर्ट में 5 बेल-412 हेलीकॉप्टर खड़े करने के लिए पार्किंग की सुविधा भी रहेगी. और यह एक आत्मनिर्भर पोर्ट होगा. इसमें पावर स्टेशन, फायर स्टेशन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और दूसरी तमाम मूल सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा.

हेलीपोर्ट में बेल और एमआई हेलीकॉप्टर पार्क करने के लिए हैंगर और एप्रेन बनाए जाएंगे. एक हेलीपैड 52 मीटर चौड़ा और 52 मीटर लंबा होगा. इनका टैक्सी-वे 10-10 मीटर लंबा-चौड़ा होगा. एक एप्रेन 170 मीटर लंबा और 52 मीटर चौड़ा होगा. ऐसे 5 एप्रेन बनाए जाएंगे. हेलीपोर्ट पर बेल और एमआई हेलीकॉप्टर्स के लिए हैंगर भी बनेगा. एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर 15 मीटर ऊंचा होगा और यहां 50 कारों की पार्किंग सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.

Share:

Next Post

ये सस्ता स्वदेशी हेलमेट बम और गोली से बचाएगा, सेना और CRPF से ऑर्डर मिलने का इंतजार

Wed Dec 15 , 2021
नई दिल्ली। भारतीय आयुध कारखानों (Indian Ordnance Factories) ने पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक अपनाते हुए ‘बुलेट प्रूफ हेलमेट’ (Bullet Proof Helmet) तैयार किया है। इस बैलिस्टिक हेलमेट (Ballistic Helmet) का निर्माण आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) के सहयोग से किया गया है, बता दे कि इसका भी ट्रायल हो चुका है। ऑर्डिनेंस क्लोथिंग फैक्ट्री, आवडी […]