विदेश

अदालत का फैसला: भगोड़े मेहुल चौकसी के भारत प्रत्यर्पण पर रोक

डोमिनिका। ईस्टर्न कैरेबियन सुप्रीम कोर्ट में पीएनबी (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपित भगोड़े भगोड़ा हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हैबियस कॉर्पस याचिका की सुनवाई होने तक चोकसी को कहीं नहीं भेजा जाए। इससे भारत की उम्मीदों को झटका लगा है।मामले की अगली सुनवाई 2 जून को होगी।

मेहुल (Mehul Choksi) के वकीलों ने वहां बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। उनका कहना है कि चोकसी को कानूनी अधिकारों से वंचित कर दिया गया था और उसे शुरू में अपने वकीलों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई थी।

मेहुल चोकसी के वकील वेन मार्श का कहना है कि मेहुल को पीटा गया था, उसकी आंखें सूजी हुई थीं और उसके शरीर पर कई जगह जलने के निशान थे। मेहुल ने अपने वकील को बताया कि एंटीगुआ के जॉली हार्बर में उसका अपहरण कर लिया गया था और उन लोगों द्वारा फिर डोमिनिका लाया गया था। चोकसी ने बताया कि वे लोग भारत के थे।



डोमिनिका में चोकसी की गिरफ्तारी की खबरों के बाद एंटीगुआ और बारबुडा के प्रधानमंत्री गेस्टन ब्राउने ने स्थानीय मीडिया से कहा कि उन्होंने डोमिनिका के प्राधिकारियों को चोकसी को भारत प्रत्यर्पित करने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं।

विदित हो कि भगोड़ा मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक में 13,500 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी में वांछित है। चोकसी 2017 में नागरिकता लेने के बाद 2018 से वह एंटीगुआ और बारबुडा में रह रहा था।, लेकिन वह वहां से गायब हो गया है और फिर पता चला कि उसे डोमिनिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। 

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