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CP जोशी हो सकते हैं राजस्‍थान के CM और डोटासरा डिप्टी CM, शाम को होगा फैसला !

जयपुर। राजस्थान के मुख्‍यमंत्री (Rajasthan CM) अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने ऐलान कर दिया (Announced) कि मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ूंगा (I will Contest for the post of Congress President) । उसी समय कयास लगाए जा रहे है कि क्‍या राजस्‍थान सीएम (CM) की कुर्सी अशोक गेहलोत छोड़ेंगे तो वह भी आज फैसला शाम को हो जाएगा, हालांकि यह तो तय है कि वे अब राजस्‍थान की कमान छोड़ने वाले हैं।

आपको बता दें काजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का कांग्रेस अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। शशि थरूर के मुकाबले उनका पलड़ा भारी बताया जाता है। लेकिन गहलोत के बाद राजस्तान में क्या होगा, इस पर अभी सस्पेंस कायम है। गहलोत के बाद राजस्थान की गद्दी कौन संभालेगा यह अभी तय नहीं हुआ है। आज शाम जयपुर में सीएम आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रभारी अजय माकन भी मौजूद रहेंगे।
दूसरी तरफ संभावना है कि मुख्यमंत्री गहलोत विधायक दल की बैठक में पद छोड़ने की पेशकश कर सकते हैं। गहलोत के नामांकन से पहले ही राजस्थान को नया मुख्यमंत्री मिल सकता है। पायलट दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं। लेकिन गहलोत की उनके नाम पर सहमित नहीं होने की वजह से कुछ अन्य समीकरणों पर विचार चल रहा है। बताया जा रहा है कि गहलोत पायलट को रोकने के लिए अपनी ‘जादूगरी’ दिखा सकते हैं।



सूत्रों के मुताबिक, गहलोत 2018 की घटना को लेकर अब भी पायलट से नाराज हैं और वह उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाने को तैयार नहीं हैं। बताया जा रहा है कि इस बीच एक नए फॉर्मूले पर भी विचार चल रहा है जिसके तहत विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है तो प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को डिप्टी सीएम का पद दिया जा सकता है। वहीं, सचिन पायलट को एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

सीपी जोशी के पक्ष में अशोक गहलोत भी है। जोशी 2008 के विधानसभा चुनाव में हमज एक वोट से चुनाव हार गए थे और मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे। 4 बार केंद्र में मंत्री रह चुके सीपी जोशी राहुल गांधी के भी करीबी बताए जाते हैं। 2018 में पायलट की बगावत के दौरान उन्होंने गहलोत की सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को डेप्युटी सीएम बनाकर जाट वोटर्स को साधने की कोशिश होगी, जोकि कम से कम 16 लोकसभा सीटों पर बेहद प्रभावी है।

इस फॉर्मुले के तहत सचिन पायलट को एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की बात चल रही है। पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे दलील दी जा रही है कि पिछले चुनाव में भी पायलट ने ही प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली थी और पार्टी बहुमत हासिल करने में कामयाब रही थी।

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