पिथौरागढ़ । पिथौरागढ़ का भी रोतों गांव में (In Pithoragarh’s ‘Roton Village’) पिछले 10 सालों से (From last 10 Years) दरारे आ रही हैं (Cracks are Coming) । रोतों गांव में वर्ष 2013 से लगातार भूधंसाव जारी है, मगर उसके बावजूद शासन-प्रशासन ने न तो इसकी कोई सुध ली है और न ही इसके लिए कोई भी कड़ी कार्यवाही की है । जोशीमठ के हालात देखकर छह हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर बसे इस गांव के ग्रामीण अब दहशत में आ गए हैं।
जमीन और मकानों में प्रतिवर्ष दरारें चौड़ी होती जा रही हैं। सरकार ने यहां का भूगर्भीय सर्वेक्षण तो कराया, मगर उपचार नहीं कराया गया है। तंतागांव रोतों गांव में 2013 में भूगर्भीय हलचल ने चेतावनी दे दी थी। बता दें कि इस गांव के ऊपरी हिस्से में सुकल्या जलस्रोत का पानी रिसकर गांव की भूमि और मकानों के नीचे बहने लगा। इसी के साथ भूसाव होने लगा और मकानों में दरारें आने लगी।
साल 2019 में भूगर्भ अधिकारी ने स्थल का निरीक्षण किया और खतरा बताया। ग्रामीण लगातार मांग करते रहे हैं, लेकिन प्रशासन चुप्पी साधे रहा। बहुत विरोध के बाद सुकल्या स्रोत के पानी की समुचित निकासी के लिए 2020 में 35.44 लाख रुपये का इस्टीमेट तैयार किया गया। मगर आज तक इस पर भी कोई कार्य नहीं हुआ है। इस प्रस्ताव को विभागीय स्वीकृति तक नहीं मिली है। ग्रामीणों का कहना है कि तंतागांव रोतों भी जोशीमठ जैसा बन चुका है, परंतु व्यवस्था इसकी सुध तक नहीं ले रही है। ग्रामीण संदीप कुमार का कहना है कि यह गांव नष्ट हो जाए और जमीनोजद हो जाए यह कहा नहीं जा सकता है।
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