इंदौर। एक गोभक्त की मौत के बाद जब गोभक्तों ने अपने इस साथी का अंतिम संस्कार गाय के कंडे से करना चाहा तो नगर निगम के कर्मचारियों ने इनकार कर दिया। इस मामले को लेकर खजराना के मुक्तिधाम पर खूब विवाद हुआ। जब क्षेत्र के पार्षद ने हस्तक्षेप किया, तब कहीं 2 घंटे बाद जाकर अंतिम संस्कार हो सका। शहर के सभी श्मशान घाट का संचालन इंदौर नगर निगम द्वारा ही किया जाता है। श्मशान घाट पर जो भी शव लाया जाता है उसका अंतिम संस्कार लकड़ी के माध्यम से अथवा कंडे द्वारा किया जाता है। यह व्यवस्था शहर के सभी श्मशान घाट पर मौजूद है। निगम द्वारा श्मशान घाट पर अंतिम क्रिया के लिए लकड़ी और कंडे देने के लिए ठेका दिया हुआ है। इस ठेकेदार द्वारा ही श्मशान घाट पर यह सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। खजराना के श्मशान घाट पर कल विवाद की स्थिति बन गई थी।
बंगाली चौराहे के पास स्थित चेतन नगर में रहने वाले गोभक्त विष्णु शर्मा का निधन हो गया था। शर्मा द्वारा शहर में कम से कम 30 गोशाला के संचालन में सहयोग दिया जा रहा था। फर्नीचर के अपने कारोबार से निवृत्ति लेकर वे गोमाता और समाज की सेवा में ही लगे हुए थे। उनके मित्र मुकेश शर्मा ने बताया कि विष्णु शर्मा के निधन के उपरांत गोसेवकों द्वारा फैसला लिया गया कि हम इस गोभक्त का अंतिम संस्कार गाय के कंडे से ही करेंगे। इसके लिए पहले से ही कुछ गोभक्त मुक्तिधाम पर पहुंच गए और साथ में गाय के कंडे भी ले आए थे। यह देखकर मुक्तिधाम के कर्मचारियों ने उस पर आपत्ति ली। इन कर्मचारियों का कहना था कि यहां पर गाय के कंडे से अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हकीकत तो यह है कि इन कर्मचारियों का कहना था कि यदि कंडे से भी अंतिम संस्कार करना है तो वह कंडे हमसे ही खरीदना पड़ेंगे। ऐसी स्थिति में गोभक्तों द्वारा महापौर पुष्यमित्र भार्गव, क्षेत्र के विधायक महेंद्र हार्डिया और निगम आयुक्त शिवम वर्मा से चर्चा करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने भी फोन नहीं उठाया। मुकेश शर्मा ने बताया कि इसी दौरान शवयात्रा को श्मशान घाट तक ले आया गया।
मृत व्यक्ति की देह श्मशान घाट पहुंच गई, तब तक भी इस विवाद का निपटारा नहीं हो सका। इसी दौरान क्षेत्र के पार्षद प्रणव मंडल भी वहां पहुंच गए। इसके पूर्व भी मंडल द्वारा फोन लगाकर निगम के कर्मचारियों को समझाइश दी गई थी, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला था। जब पार्षद वहां पहुंच गए तो फिर उन्होंने कर्मचारियों से बात की। करीब 2 घंटे तक चले विवाद के बाद जाकर एक गोभक्त का अंतिम संस्कार गाय के कंडों से हो सका।
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