इंदौर न्यूज़ (Indore News)

बगैर सूचना ट्रेनिंग छोडक़र जाने वाले सीआरपीएफ जवान को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, याचिका खारिज

मानवीय आधार पर सेवा में पुन: लिए जाने की गुहार की थी

इंदौर। बगैर सूचना ट्रेनिंग (Training) छोडक़र जाने वाले सीआरपीएफ (CRPF) के जवान को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। मानवीय आधार पर सेवा में पुन: लिए जाने की उसकी याचिका जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच ने खारिज कर दी।


याचिकाकर्ता छोटेलाल पैकरा का चयन जवान के पद पर 6 फरवरी 2017 को सीआरपीएफ नक्सल में हुआ था। 21 मार्च 2017 को ज्वाइन किया और नीमच में ट्रेनिंग शुरू हुई। इस दौरान वह बगैर सूचना दिए ट्रेनिंग छोडक़र चला गया। 11 जुलाई 2017 कमाडेंट सीआरपीएफ नीमच ने उसकी सेवा समाप्त करने के आदेश दिए। याचिका में तर्क दिया कि उसका भाई जो 74वीं बटालियन सुकमा में पदस्थ है, ड्यूटी के दौरान एक बम ब्लास्ट में घायल हो गया था, उसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं था, इसलिए ट्रेनिंग बीच में छोडक़र जाना मजबूरी थी।

11 जनवरी 2021 और 8 फरवरी 2021 को उसने डीआईजी सीआरपीएफ को आवेदन दिया और उक्त कारण बताकर मानवीय आधार पर सेवा में पुन: लिए जाने की गुहार की, लेकिन 26 फरवरी 2021 को डीआईजी ने इससे इनकार कर आवेदन निरस्त कर दिया, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। केंद्र सरकार की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल हिमांशु जोशी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने इस बात की कभी कोई सूचना नहीं दी कि वह ट्रेनिंग बीच में छोडक़र क्यों गया था? हाईकोर्ट में भी उसकी ओर से यह याचिका सेवा समाप्ति के लगभग 5 साल बाद लगाई गई है। जस्टिस धर्माधिकारी की बेंच ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी।

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