नई दिल्ली (New Delhi)। आदिवासी आंदोलन (tribal movement) के दौरान हिंसा को लेकर मणिपुर (Manipur) के आठ जिलों में बुधवार को कर्फ्यू लगा दिया गया। पूरे पूर्वोत्तर राज्य (North Eastern States) में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गईं। दरअसल, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन की ओर से बुलाए गए ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क (violence erupted) गई थी।
‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर’ (एटीएसयूएम) ने बताया कि मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है, जिसके खिलाफ उसने मार्च बुलाया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया और इस दौरान तोरबंग इलाके में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा की खबरें आईं। अधिकारी ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस (tear gas) के गोले दागे।
उन्होंने बताया कि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, लेकिन कई आंदोलनकारी पहाड़ियों के विभिन्न हिस्सों में अपने घरों को लौटने लगे हैं। स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राज्यभर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू है। कर्फ्यू लगाने संबंधी अलग-अलग आदेश आठ जिलों के प्रशासन द्वारा जारी किए गए हैं।
बिष्णुपुर जिलाधिकारी ने भी जारी किए आदेश
मणिपुर के बिष्णुपुर (Bishnupur of Manipur) जिले में पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का एकत्र होना गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है। पूरे जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। जिलाधिकारी की ओर से जारी निर्देश के अनुसार वैध लाइसेंस के बिना हथियार, लाठी, पत्थर, आग्नेयास्त्र या ऐसे हथियार जिनका आक्रामक हथियारों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। विष्णुपुर के जिलाधिकारी लौरेंमबाम बिक्रम ने सीआरपीसी 1973 की धारा 144 के तहत ये निर्देश जारी किए हैं। जिलाधिकारी की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि यह रोक 3 मई 2023 के शाम छह बजे से लागू रहेगी। प्रशासन की ओर से इलाके में इंटरनेट पर भी पांबदी लगा दी गई है।
चुराचांदपुर इलाके में तनाव के बीच घरों को नष्ट किया गया
इससे पहले मणिपुर के चुराचांदपुर शहर में तनाव के बीच भीड़ ने घरों को नष्ट किया। जिले में जनता कर्फ्यू लगा दिया गया है।
क्या है तनाव का कारण?
मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में बहुसंख्यक मेइतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने के कदम का विरोध करते हुए राज्य के सभी दस पहाड़ी जिलों में छात्र संगठन की ओर से बुलाए गए ‘एकजुटता मार्च’ में हजारों आदिवासी शामिल हुए। इस दौरान हिंसा की भी खबरें आई हैं। प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्य के 53 प्रतिशत आबादी वाले मेइती मणिपुर घाटी में रहते हैं, जो राज्य के भूमि क्षेत्र का लगभग दसवां हिस्सा है और दावा करते हैं कि वे म्यांमार और बांग्लादेशियों की ओर से बड़े पैमाने पर अवैध घुसपैठ के कारण कठिनाई का सामना कर रहे हैं। दूसरी ओर, पहाड़ी जिले जो राज्य के अधिकांश भू-भाग में फैले हुए हैं वहां ज्यादातर आदिवासी निवास करते हैं जिनमें नगा और कुकी जनजातियां भी शामिल हैं।