दमोह। दमोह (Damoh) में एक ‘सौतेला’ भाई (step brother) ऐसा है जो बिल्कुल लक्ष्मण की तरह बड़े भाई की सेवा कर रहा है. पत्नी, पिता और मां ने जिस दिव्यांग बड़े भाई को मरने के लिए छोड़ दिया, उसे छोटा भाई बच्चे की तरह पाल रहा है. इस छोटे भाई को बड़े भाई की सेवा करने की सजा भी मिल रही है। उसे भी परिवार ने धक्के मारकर घर से निकाल दिया है. ये कहानी है दमोह जनपद पंचायत के तहत आने वाले तेजगढ़ खुर्द गांव की।
यहां सोनू और आकाश सौतेले भाई हैं। दोनों एक-दूसरे पर जान छिड़कते हैं। इनके किस्से गांव में इतने मशहूर हैं कि अब इस रिश्ते की मिसाल दी जाती है। बता दें, 25 वर्षीय सोनू पिता शिवराज रजक जबलपुर में काम करता था. वहां पिछले साल जनवरी में एक हादसा हो गया और उसकी दोनों टांगें कट गईं। सोनू ही परिवार में इकलौता कमाने वाला था. लेकिन, हादसे के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया. हालात इतने दयनीय हो गए कि 2 साल पहले तक उसके साथ 7 जन्मों तक जीने-मरने की कसमें खाने वाली पत्नी उसको हमेशा के लिए छोड़कर चली गई।
सौतेले भाई को गवारा नहीं हुआ अत्याचार
इसके बाद सोनू से बाकी परिजनों ने भी धीरे-धीरे किनारा कर लिया। सौतेली मां ने उसे गांव में ही दूसरे मकान में छोड़ दिया और खाना-पीना बंद करा दिया। लेकिन, मां ये बात 16 साल के बेटे आकाश को गवारा नहीं हुई। उसने जब इस मुद्दे को लेकर परिवार का विरोध किया तो परिजनों ने उसको भी घर से अगल कर दिया। सोनू का साथ देने की वजह से उसका खाना-पीना भी बंद कर दिया गया. दोनों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।
योजनाओं का नहीं मिला लाभ
इसके बाद आकाश ने पूरा ध्यान सोनू की देखभाल में लगा दिया. वह हर पल अपने सौतेले बड़े भाई के साथ रहता है. उसका पूरा ख्याल रखता है. गौरतलब है कि अपने ही घर से बेसहारा हुए सोनू को 90% दिव्यांग होने के वावजूद शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिला. न ही उसे दिव्यांग पेंशन मिल रही है. उसे सरकार से ट्रायसाइकल मिलने की उम्मीद थी, लेकिन वह भी नहीं मिली. इस मामले को लेकर आकाश कलेक्टर से मिलने कलेक्ट्रेट गया, लेकिन कलेक्टर से मुलाकात नहीं हो सकी. वह सोनू को गोद में लिए-लिए भरकता रहा।