51 दिनी लॉकडाउन से गरीब और मध्यमवर्गीय तबाह
इंदौर। 9 अप्रैल से जनता कफ्र्यू लागू है, जिसमें अधिकांश गतिविधियां बंद पड़ी हैं। अब तो कलेक्टर (Collector) ने 28 मई तक के लिए आदेश जारी ही कर दिया, उसके बाद 29-30 मई शनिवार है। यानी 51 दिन बाद 1 जून से अनलॉक की प्रक्रिया गत वर्ष की तरह शुरू होगी। तब तक गरीब, निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार ( Middle Class Family) तो तबाही के कगार पहुंच जाएंगे। आज से फल (Fruit), सब्जी (Vegetable) किराने वालों के धंधे भी बंद करवा दिए गए हैं।
मेडिकल ( Medical) को छोडक़र कुछ ही उद्योगों को अनुमति दी गई है, मगर उसमें भी कई तरह के प्रतिबंध थोप रखे हैं, जिसके चलते सभी तरह के कारोबार लगभग 9 अप्रैल से ही ठप पड़े हैं और अब यह प्रतिबंध 31 मई तक लागू रहेगा और फिर 1 जून से प्रतिबंध हटाए जाएंगे। तब तक तो कई छोटे कारोबारी पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। अभी साग-भाजी और किराने की दुकान वाले थोड़ा-बहुत कमा रहे थे, वह भी आज से बंद करवा दिया। यानी एक तरफ कोरोना से मौत है तो दूसरी तरफ लॉकडाउन से तबाही… बीते 14 महीने से जनता और कारोबारी यह त्रासदी भोग रहे हैं। अभी दूसरी लहर में तो बड़ी संख्या में मौतें भी हो गईं और घर-घर में कोरोना संक्रमण के चलते इलाज पर भी खर्चा करना पड़ा, क्योंकि अस्पतालों की लूट में किसी तरह की कोई कमी नहीं रही। ऑक्सीजन, इंजेक्शन ब्लैक में खरीदकर लगवाना पड़े। काम-धंधे, नौकरी पहले से ही चौपट है, जिस पर इलाज ने कई परिवारों की कमर तोड़ दी। वहीं कई परिवारों को अपने परिजनों को खोना अलग पड़ा।
उपचाररत मरीजों को कैसे मिलेंगे फल व आहार..?
अभी बड़ी संख्या में होम आइसोलेशन (Home Isolation) के अलावा अस्पतालों में कोरोना सहित अन्य बीमारियों के मरीज उपचाररत भर्ती हैं, जिन्हें पौष्टिक आहार के साथ-साथ फल (Fruit) और ज्यूस अनिवार्य रूप से दिए जाते हैं। अब आज से प्रशासन ने साग-भाजी के साथ फलों की बिक्री भी प्रतिबंधित कर दी। ऐसे में सवाल यह है कि उपचाररत मरीजों को ये फल कहां से और कैसे मिलेंगे…? और ये एक दिन की बात नहीं है, लगातार 8 दिनों तक मरीजों को पौष्टिक आहार और फलों से वंचित रहना पड़ेगा। यहां तक कि अभी कोरोना के इलाज में ही नारियल पानी से लेकर कई तरह के फलों और ज्यूस के सेवन को डॉक्टर ही फायदेमंद बताते हैं। खासकर होम आइसोलेशन में जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उनके लिए यह डाइट ही दी जाती है।