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खुदरा महंगाई में गिरावट, 8 राज्यों में लोगों को जरूरी सामान खरीदने में चुकाने पड़ रहे ज्यादा पैसे

January 15, 2025

नई दिल्ली। कुछ खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी (Reduction Prices some food Items)के चलते राष्ट्रीय स्तर पर खुदरा महंगाई (National level Retail Inflation) में दिसंबर के दौरान गिरावट आई है लेकिन यूपी, उत्तराखंड और बिहार समेत देश के आठ राज्यों में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) राष्ट्रीय औसत 5.22 प्रतिशत से अधिक है। जबकि दिल्ली में राष्ट्रीय औसत से करीब आधी 2.51 प्रतिशत रही है। आंकड़ों से पता चलता है कि इन आठ राज्यों में लोगों को जरूरत का सामान खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।


खुदरा महंगाई आठ राज्यों में राष्ट्रीय औसत से अधिक
थोक महंगाई के आंकड़ों से पहले सोमवार को खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए गए थे, जिसमें नवंबर के मुकाबले नरमी देखी गई लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि देश के आठ राज्यों में खुदरा महंगाई राष्ट्रीय औसत 5.22 प्रतिशत से अधिक है। मणिपुर में थोक महंगाई सबसे अधिक 9.4 प्रतिशत दर्ज की गई है।

राज्य में औसत महंगाई दर और संयुक्त सूचकांक
उत्तराखंड – 6.05
हरियाणा – 6.08
उत्तर प्रदेश – 6.26
बिहार – 7.36
छत्तीसगढ़ – 7.63
ओडिसा – 6.96
मणिपुर – 9.4
केरल – 6.36

राज्यों की महंगाई दर में अंतर के कई कारण
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं कि आठ राज्यों में खुदरा महंगाई दर राष्ट्रीय औसत से अधिक होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। मणिपुर में सबसे अधिक 9.4 प्रतिशत महंगाई दर है। इसके पीछे, सीधा कारण है कि वहां पर स्थिति तनावपूर्ण है, जिससे लोगों की जरूरत के सामान की सप्लाई प्रभावित हो रही है।

इससे जाहिर है कि सप्लाई प्रभावित होने की स्थिति में लोगों को ज्यादा दाम देकर खरीदारी करनी पड़ रही होगी। राज्यों की महंगाई दर में अंतर वहां की ग्रामीण और शहरी आबादी के अनुपात के हिसाब से भी होता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के मुताबिक शहरी खपत बास्केट में खाने-पीने के सामान का अधिभार 29.6 फीसदी है वहीं ग्रामीण खपत बास्केट में यह 47.3 प्रतिशत है।

यूपी-बिहार में ज्यादा महंगाई दर की दो वजह
यूपी, बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों में महंगाई दर राष्ट्रीय औसत से अधिक होने के दो मुख्य कारण नजर आते है। नंबर एक, आर्थिक रूप से कमजोर इन राज्यों में लोगों की आमदनी का बड़ा हिस्सा खाद्य वस्तुओं पर खर्च होता है। जहां पर श्रमिकों की संख्या अधिक होती है, वहां पर खाने पर खर्च अधिक होता है।

दूसरा कारण, इन राज्यों में कई खाद्य वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता, जिसमें दालें, मसाले और खाद्य तेल मुख्य रूप से शामिल है, जिससे ऐसे सामान को दूसरे राज्यों से मंगाने पर ज्यादा खर्च होने की वजह से कीमतें पर प्रभाव पड़ रहा होगा। जैसे बिहार और झारखंड चीनी उत्पादक राज्य नहीं हैं। इनकी निर्भरता दूसरे राज्यों पर है, जिसकी वजह से चीनी की कीमतें भी दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा होंगी।

दिल्ली में महंगाई कम होने का कारण
जानकारों का कहना है कि दिल्ली एक व्यापारिक केंद्र है और पूरे उत्तर भारत के लिए खाद्य वस्तुओं का वितरण केंद्र भी है, इसलिए यहां महंगाई दर कम है। आसपास के सभी राज्यों के किसान और व्यापारी अपना माल लेकर पहले दिल्ली आते हैं और फिर दिल्ली से देश के अन्य हिस्सों में माल की आपूर्ति होती है। ऐसे में दिल्ली को सस्ती दरों पर वस्तुएं मिल पाती हैं। दूसरा दिल्ली में पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और अन्य ईंधन बाकी राज्यों की तुलना में सस्ता हैं।

उत्तर प्रदेश व झारखंड में शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में महंगाई
यूपी में शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में महंगाई ज्यादा है। दिसंबर में ग्रामीण क्षेत्र में महंगाई दर 6.89 प्रतिशत दर्ज की गई है। जबकि शहरी क्षेत्र में 5.16 प्रतिशत रही है। वहीं, उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्र की महंगाई दर 5.82 और शहरी क्षेत्र की 6.41 प्रतिशत रही है।

झारखंड में भी स्थिति यह है। जहां पर ग्रामीण महंगाई दर 4.19 प्रतिशत रही है और शहरी दर 4.99 प्रतिशत दर्ज की गई। बिहार की बात करें तो वहीं ग्रामीण महंगाई दर 7.29 और शहरी 7.57 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई है।

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