इंदौर। शहरी क्षेत्र में तो जमीनों की कीमत और गाइडलाइन हर साल बढ़ाई जाती है, लेकिन किसानों की मांग है कि उन्हें एक दशक से ज्यादा समय हो गया है, खेती की जमीन की गाइडलाइन नहीं बढ़ाई गई है। जमीन अधिग्रहण करने के दौरान किसानों को मुआवजा एक दशक से पहले की गाइडलाइन पर मिलता है, जो कि गलत है। ऐसी कई समस्याओं को लेकर 16 मार्च को किसान धरना प्रदर्शन करेंगे।
इंदौर विकास प्राधिकरण एवं अलग-अलग योजनाओं में जमीन अधिग्रहण को लेकर किसान शुरू से ही नाराजगी जताते आए हैं। किसान नेता हंसराज मंडलोई का कहना है कि सरकार व प्राधिकरण विभिन्न योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण कर रहा है। विकास में हम सरकार के साथ हैं, लेकिन किसानों को जमीन अधिग्रहण के बदले जो मुआवजा दिया जा रहा है वह एक दशक पुरानी गाइडलाइन का है। सरकार खेती की जमीन की गाइडलाइन बढ़ाए और फिर चार गुना मुआवजा प्रदान करे। 16 मार्च को किसान कनाडिय़ा तहसील के जालोद केऊ गांव में दोपहर 2 से शाम 7 बजे तक धरना प्रदर्शन करेंगे। किसानों ने यह भी मांग की कि इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर ग्रामीण पृष्ठभूमि के व्यक्ति को मनोनीत किया जाए।
बेघर हो रहा किसान…वर्तमान व आने वाली पीढ़ी के लिए संकट
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के जिला अध्यक्ष दूलेसिंह राठौर ने बताया कि सरकार का जमीन अधिग्रहण करने का तरीका किसान विरोधी है। इससे किसान न तो कहीं जमीन खरीद पा रहा है और न ही वह अपनी रोजी को ठीक से चला पा रहा है। 10 से 15 फीसदी किसान जागरूक हैं। बाकी किसानों व वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के लिए संकट की स्थिति बन रही है। चंद रुपए आने से किसान भौतिक व विलासिता सुख-सुविधाओं में कुछ समय उलझ जाता है और भविष्य को भूल जाता है। सरकार को किसानों की ओर ध्यान देना चाहिए।
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