इंदौर। 50 हजार से ज्यादा लोग इंदौर (indore) में ही पिछले एक साल में डॉग बाइट यानी कुत्तों के काटने (Dog Bites) का शिकार हो चुके हैं। हालांकि देशभर में यह समस्या है और कई वीडियो भी आ चुके हैं, जिसमें मासूम बच्चों (Children) से लेकर नागरिकों (Citizens) पर इन आवारा कुत्तों ने ना सिर्फ जानलेवा हमला किया, बल्कि कई मौतें भी हो चुकी हैं। बावजूद इसके ना तो सुप्रीम कोर्ट और ना ही हाईकोर्ट से कोई सीधी राहत मिल सकी है। अभी इंदौर हाईकोर्ट (High Court) में भी दायर दो जनहित याचिकाओं पर फैसला आया, उसमें भी सिर्फ नसबंदी जैसे उपायों की ही बात कही गई।
इंदौर की हर सडक़, गली-मोहल्ला, कॉलोनी, टाउनशिप और रहवासी सोसायटी इन आवारा कुत्तों से परेशान हैं और आम नागरिकों द्वारा इसकी लगातार शिकायत की जाती है। मगर शासन-प्रशासन से लेकर नगर निगम तक असहाय है, क्योंकि पशु क्रूरता अधिनियम के तहत इन आवारा कुत्तों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। यहां तक कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर इन्हें शिफ्ट भी नहीं किया जा सकता। अभी हाईकोर्ट ने जो 9 पेज का फैसला दिया उसमें भी नगर निगम को पशु जन्म नियंत्रण नियम 2023 का सख्ती से पालन करने, जनता को जागरूक करने और टीकाकरण, आश्रय निर्माण की राशि आबंटित करने जैसी सलाह ही दी।
जबकि आम जनता का मानना है कि इन आवारा कुत्तों पर कड़ा नियंत्रण जरूरी है और इन्हें हटाया भी जाना चाहिए।जिस तरह आवारा पशुओं को शहर की सडक़ों से हटाया गया और गौशालाओं में भिजवाया गया, उसी तरह आवारा कुत्तों के लिए भी आश्रय निर्माण जैसी योजनाओं पर काम हो। वंदना जैन, पूर्व पार्षद महेश गर्ग की ओर से यह याचिकाएं लगाई गई। अभिभाषक प्रतीक माहेश्वरी ने बताया कि पिछले एक साल में ही 50 हजार से अधिक लोगों को इन आवारा कुत्तों ने काटा है।
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