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राज्य का विकास हमारी पहली प्राथमिकताः उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

श्रीनगर। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के नये उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ग्रहण की। वह पहले नेता हैं, जिन्होंने केंद्र शासित प्रदेश का प्रभार संभाला है। जम्मू-कश्मीर की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने राज भवन में उन्हें पद की शपथ दिलाई। सिन्हा को ग्रामीण इलाकों में लोगों से उनके जुड़ाव के लिए जाना जाता है।
मनोज सिन्हा ने कहा, जम्मू कश्मीर में अमन चैन हो, अराजकता की स्थिति न रहे, आतंकवाद यहां से समाप्त हो और अमन चैन बरकरार रखते हुए विकास की गति को तेज करना हमारा लक्ष्य है हमारा मिशन है। उपराज्यपाल बोले कि मेरी पहली प्राथमिकता पिछले एक साल में जम्मू-कश्मीर में जो विकास का काम हुआ है, उसे तेज गति से आगे बढ़ाना। जो सामान्य लोग हैं उनसे संवाद स्थापित करना और विश्वास पैदा करना। भारतीय संविधान हमारे लिए गीता का काम करेगा।
61 वर्षीय सिन्हा ने पूर्व आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू की जगह ली है जिन्होंने बुधवार रात इस्तीफा दे दिया था। मुर्मू को गुरुवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) नियुक्त किया गया। शपथग्रहण कार्यक्रम में फारुक खान, बशीर खान समेत पूर्व उपराज्यपालों के सलाहकार रहे अन्य लोगों के साथ ही वरिष्ठ नौकरशाह एवं पुलिसकर्मी मौजूद रहे। राज्यसभा सदस्य नजीर अहमद लवाय, भाजपा से लोकसभा सदस्य जुगल किशोर शर्मा और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के नेता गुलाम हसन मीर भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।
मनोज सिन्हा का जन्म 1 जुलाई, 1959 को मोहनपुरा (गाजीपुर, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से हुई, उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक किया। वे बीएचयू के विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष भी थे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र संघ का अध्यक्ष बनने के साथ ही 1982 से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। वह 1996 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और उन्होंने 1999 में दोबारा जीत हासिल की। सिन्हा 1989 से 1996 तक भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे।
वह 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने पर तीसरी बार निचले सदन के लिए चुने गए। वह रेल राज्य मंत्री रहे हैं और बाद में उन्हें संचार मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी सौंपा गया था। मनोज सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता हैं। वह पूर्व में गाजीपुर से सांसद रहे हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरे हैं। हालांकि, 2019 का लोकसभा चुनाव वो हार गए थे।

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