भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सरकार के लिए विकास कार्य बने चुनौती

  • चुनावी घोषणाओं से मप्र पर बढ़ा आर्थिक बोझ

भोपाल। मप्र में भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूरा फोकस विकास योजनाओं पर है। लेकिन पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के दौरान की गई चुनावी घोषणाएं सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। इसकी वजह यह है कि पुरानी योजनाओं-परियोजनाओं को पूरा करने में प्रदेश पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार के लिए नई घोषणाएं पूरा करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। गौरतलब है कि प्रदेश में आर्थिक बोझ के कारण कई निगम-मंडल में वेतन के लाले पडऩे लगे हैं।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के दो साल के दौरान प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका असर लोगों पर नहीं पडऩे दिया। जबकि विकास के कार्य प्रभावित हुए हैं। अब सरकार पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। ऐसे में अब सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां ज्यादा हैं, क्योंकि चुनाव में सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए। इनका बोझ सरकारी खजाने पर पडऩा है।



बिना बजट घोषणाओं का अंबार
पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में सरकार ने खूब घोषणाएं की हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में इन नए वादों के लिए बजट में प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन विकास कार्य अभी से शुरू करने होंगे। कारण यह है कि अगले साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है। उससे पहले सरकार के सामने वादों को पूरा करने की चुनौती है। हालांकि कुछ राहत यह है कि कोरोना काल के बाद राजस्व की स्थिति संभल रही है। सरकार ने इस साल बजट में 1.95 लाख करोड़ से ज्यादा की आमदनी का अनुमान रखा है। इनमें 72 हजार करोड़ विभिन्न टैक्स के जरिए वसूली होना है। प्रदेश में सड़कों पर दो वर्ष में 2 हजार करोड़ खर्च करने का वादा है। इसके तहत इसी साल 1 हजार करोड़ रुपए की जरूरत रहेगी। नगरोदय कार्यक्रम के लिए 5 साल में 21 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च करने का वादा है। पहले साल औसत चार हजार करोड़ रुपए चाहिए। 16 नगर निगमों में तीन हजार बसें चलाने का वादा है। इसी के साथ 5 हजार करोड़ से शहरों को कचरा मुक्त बनाने की प्लानिंग है। एक साल में भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल चलाने का वादा है। नवंबर 2023 के चुनाव से पहले सरकार मेट्रो का संचालन चाहती है।

कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा
एक तरफ सरकार घोषणाएं करती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। इस साल का राज्य का मुख्य बजट 2.79 लाख करोड़ रुपए का है, जबकि कर्ज 2.87 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार हो चुका है। यह अलार्मिंग स्थिति है। हालांकि ऐसा इसलिए हुआ कि केंद्र सरकार ने ऑफ बजट कर्ज को भी मुख्य बजट में शामिल करने के आदेश दिए हैं। इसके तहत अब भी 35 हजार करोड़ औसत ऑफ बजट कर्ज है, जो इसमें शामिल हो सकता है।

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