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दिलीप कुमार सैंडविच स्टॉल में सिर्फ 36 रुपये कमाते थे


मेला, शहीद, अंदाज, आन, देवदास, नया दौर, मधुमती, यहूदी, पैगाम, मुगल-ए-आजम, गंगा-जमना, लीडर तथा राम और श्याम जैसी फिल्मों के सलोने नायक दिलीप कुमार लाखों युवा दर्शकों के दिलों की धडक़न दिलीप कुमार 11 दिसंबर को 98 साल के हो जाएंगे। पाकिस्तान के पेशेवर में सन् 1922 में जन्में दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था। 12 भाई-बहनों में से एक दिलीप का बचपन तंगहाली में ही गुजरा था। मुंबई आने के बाद पूरे परिवार को कई आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। तब दिलीप कुमार ने पुणे के एक आर्मी क्लब में सैंडविच स्टॉल पर काम करना शुरू किया। अपनी पहली नौकरी के मेहनताना के तौर पर उन्हें मात्र 36 रुपये मिला करते थे।
बदल लिया था इसलिए नाम
मोहम्मद यूसुफ खान यानी दिलीप कुमार ने फिल्मों में आने से पहले ही अपना नाम बदल लिया था, क्योंकि उस समय हिन्दी फिल्मों का दौर था। देविका रानी ने ही उनका नाम दिलीप कुमार रखा था। देवदास, नया दौर, मुगल-ए-आजम, जुगनू, शहीद, दाग जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके दिलीप कुमार को पद्मभूषण, दादा साहब फाल्के और सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
इसलिए नाम पड़ा ट्रैजेडी किंग
दिलीप कुमार ने अपनी अधिकतर फिल्मों में त्रासद भूमिकाएं ही निभाई थीं। इस कारण उन्हें फैंस ने ट्रैजेडी किंग का नाम दिया गया था। बता दें कि उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ज्वार भाटा से साल 1944 में की।

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