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INDIA गठबंधन में सबसे बड़े ‘हथियार’ पर ही तकरार, ममता के रुख पर कैसे निकलेगा समाधान?

नई दिल्ली: जातिगत जनगणना के मुद्दे को विपक्षी गठबंधन INDIA लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के खिलाफ सबसे बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही कर रही थी. विपक्ष लगातार जातिगत जनगणना को लेकर सियासी बिसात बिछाने में जुटा हुआ था, लेकिन अब ये ‘INDIA’ के घटक दलों के बीच सिर्फ तकरार ही नहीं बल्कि गठबंधन के गले का फांस भी बन रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है.

ऐसे में ममता के स्टैंड से विपक्षी गठबंधन के घटक दल हैरान हैं, जिसके चलते सवाल उठ रहा है कि INDIA गठबंधन में फूट पड़ सकती है? हिंदी पट्टी की विपक्षी पार्टियां जातिगत जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी को पिछड़ा और दलित विरोधी कठघरे में खड़ा करना चाहती है, क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार इसके तैयार नहीं है. मंडल पॉलिटिक्स से निकले नेता और राजनीतिक पार्टियां जातिगत जनगणना को लेकर सियासी तानाबाना बुन रही हैं.

बिहार में नीतीश के अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार जातिगत सर्वे करा रही है. सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस मांग को लगातार उठा रहे हैं. कांग्रेस ने कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी ऐलान किया है कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जातिगत जनगणना होगी.

जातिगत जनगणना पर INDIA में तकरार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर मंगलवार को हुई INDIA की डिनर पार्टी में गठबंधन के घटक दल चाहते थे कि जातिगत जनगणना को लेकर एक प्रस्ताव पास किया जाए, लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी इसके लिए तैयार नहीं हुई. खरगे के घर हुई बैठक में टीएमसी से डेरेक ओ ब्रायन शामिल हुए थे और उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी जातिगत जनगणना के समर्थन में नहीं है. टीएमसी के स्टैंड और ममता के अड़ियल रवैये से जेडीयू, सपा, आरजेडी के नेता हैरान हैं. खरगे के घर हुई बैठक में कोई अहम फैसला नहीं हो सका.

खरगे के घर बैठक खत्म होने के बाद सपा, जेडीयू, आरजेडी और एनसीपी के नेताओं की आपसी बातचीत हुई. इन सभी दलों के बीच तय हुआ कि अगर इस मामले में जल्द कोई फैसला नहीं हुआ तो फिर 14 सितंबर को कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में हर हाल में कोई फैसला करना पड़ेगा. जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सपा, जेडीयू, जेएमएम, आरजेडी, एनसीपी, डीएमके और कांग्रेस एकमत हैं.

कांग्रेस के एक बड़े नेता के समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ममता बनर्जी को जातिगत जनगणना से क्या विरोध है? बंगाल में भले ही ये उनके लिए कोई मुद्दा न हो पर बिहार और यूपी जैसे राज्यों के लिए ये बड़ा चुनावी मुद्दा है. मुंबई में हुई INDIA गठबंधन की बैठक में सबसे पहले इस मुद्दे को नीतीश कुमार ने उठाया था. बिहार के मुख्यमंत्री ने मुंबई में कहा था कि हम सब लोगों को इस मुद्दे पर राजनैतिक प्रस्ताव पास करना चाहिए, जिससे देश में बड़ा सियासी संदेश जाएगा.


जातिगत जनगणना पर क्षत्रपों की बढ़ी चिंता
आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने भी कहा था कि जातिगत जनगणना के एजेंडे पर हम बीजेपी को घेर सकते हैं. तब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि हम तो PDA मतलब पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक के नारे पर चुनाव लड़ने का प्लान कर चुके हैं. जेडीयू के अध्यक्ष ललन यादव ने तब कहा था कि एनडीए में भी कई पार्टियां जातिगत जनगणना की मांग कर रही हैं. एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार भी इसके पक्ष में थे. आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी भी जातिगत जनगणना पर राजनैतिक प्रस्ताव के हक में हैं.

वहीं, ममता बनर्जी ने कहा कि जातिगत जनगणना के बारे में वो बहुत ज़्यादा नहीं जानती हैं. उन्हें पहले इस मामले को समझना होगा तभी कोई फैसला कर पायेंगी. उनके विरोध पर विवाद बढ़ गया. फिर कांग्रेस ने बीच-बचाव किया और तय हुआ कि अगली बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होगी और तब तक ममता बनर्जी को भी इस केस को समझने का समय मिल जाएगा. इसके बावजूद जेडीयू और आरजेडी के नेताओं ने जवाब बनाए रखा. इससे नाराज होकर ममता बनर्जी प्रेस कांफ्रेंस से गैर हाजिर रहीं.

गठबंधन की बैठक में नहीं निकला समाधान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर मंगलवार शाम को इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई, जिसका एजेंडा तो संसद का विशेष सत्र था. केंद्र सरकार की तरफ से अब तक तो ये भी नहीं बताया गया है कि संसद की ये बैठक क्यों बुलाई गई है. इसीलिए कुछ और मुद्दों पर भी चर्चा हुई.

जेडीयू के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया, जिसका समर्थन सपा महासचिव नेता रामगोपाल यादव और आरजेडी के सांसद मनोज झा ने भी किया. बैठक में मौजूद एनसीपी सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी इसके समर्थन में अपनी बात रखी तो डीएमके के टीआर बालू ने भी समर्थन किया. वहीं, ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने इसका विरोध कर दिया. उन्होंने कहा कि इसकी क्या ज़रूरत है. ये एक दो राज्यों और पार्टियों का मुद्दा हो सकता है पर विपक्षी एकता का इस मुद्दे से क्या लेना देना?

डेरेक ओ ब्रायन के जातिगत जनगणना पर विरोध करने से विवाद बढ़ने लगा तो मल्लिकार्जुन खरगे को बीच बचाव करना पड़ा. टीएमसी नेता डेरेक ने कहा कि जातिगत जनगणना के मुद्दे को समझने के लिए उन्हें कुछ और समय चाहिए. बैठक में मौजूद बाक़ी पार्टियों के नेताओं ने इस मामले में आखि फैसला कांग्रेस अध्यक्ष खरगे पर छोड़ दिया. ये भी तय हुआ कि शरद पवार के घर पर 14 सितंबर को होने वाली कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में इस पर फ़ैसला लिया जाए.

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