इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अंबेडकर जयंती पर 2 लाख श्रद्धालुओं के लिए जिला प्रशासन तैयारियो में जुटा

आचार संहिता में नजर नहीं आएंगे जनप्रतिनिधि

पीने के पानी, छांव, भोजन की व्यवस्था के साथ सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा

इंदौर। 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती (Ambedkar Jayanti) के दौरान होने वाले भव्य आयोजन के लिए जिला प्रशासन जुट गया है। हर वर्ष की तरह इस बार भी अंबेडकर अनुयायियों के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है, जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है।


डॉ भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू (Mhow) में उनकी जयंती की तैयारी शुरू हो चुकी है। आचार संहिता के चलते क्षेत्र में राजनीतिक पार्टियों के बैनर-पोस्टर नजर नहीं आएंगे, लेकिन जिला प्रशासन हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी चाकचौबंद व्यवस्था करने में जुट गया है। कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार क्षेत्र में अनुयायियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं। आने वाले दर्शनार्थियों के लिए ठहरने, खाने-पीने की व्यवस्था पर प्रशासन की पैनी नजर है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सभी बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर विशेष व्यवस्था की जा रही है। महू तक पहुंचने के लिए वाहनों की व्यवस्था पर भी रणनीति तैयार की गई है। आने वाले श्रद्धालुओ को धूप से बचाने छांव की व्यवस्था के साथ-साथ जगह-जगह पर प्याऊ लगाए जाएंगे। भोजन व्यवस्था को लेकर खाद्य विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

मेन्यू हो रहा तैयार

आने वाले श्रद्धालुओं ओर गर्मी के मौसम का ध्यान रखते हुए भोजन परोसा जाएगा। इसके लिए विशेष मेन्यू तैयार किया जा रहा है। हालांकि आचार संहिता के दौरान किसी भी राजनीतिक पार्टियों के टेंट या अन्य व्यवस्थाएं नहीं होने के कारण पूरा भार प्रशासन पर रहेगा, जिसके लिए प्रशासन मुस्तैद है। खाद्य विभाग गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए उचित भोजन की व्यवस्था कर रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार ठंडे पानी, छाछ की व्यवस्था पर भी प्लानिंग की जा रही है।

Share:

Next Post

गौरैया संरक्षण के लिए रजत सिनर्जी फाउंडेशन और जोसेफ बर्नहार्ट ने बनाए प्राकृतिक स्वरूप में घोंसले

Tue Apr 2 , 2024
वाराणसी: गौरैया (sparrow) विश्व (World) के लगभग सभी देशों में पाई जाने वाली पक्षियों की सबसे पुरानी प्रजाति है। जो आज विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है, जैसे कि हम अपने कला, संस्कृति, संस्कार व परम्परा को संजोने के लिए प्रयत्नशील है। ये गौरैयां भी हमारी संस्कृति का हिस्सा है, जिसके संरक्षण की […]