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AIIMS में डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, रेजिडेंट मांगों पर डटे

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी (National Capital) दिल्ली (Delhi)  स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Medical Sciences) (AIIMS) के डॉक्टरों की हड़ताल  (Doctors Strike) खत्म हो गई है। रेजिडेंट डॉक्टर्स (resident doctors) की हड़ताल (strike) जारी है। एम्स के डॉक्टर्स (AIIMS doctors) की स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Health Minister Mansukh Mandaviya) के साथ बुधवार को बैठक हुई जिसके बाद हड़ताल (strike)खत्म हुई। उधर सफदरजंग अस्पताल (Hospital) के रेजिडेंट डॉक्टरों (resident doctors) ने नीट-पीजी काउंसलिंग में हो रही देरी के खिलाफ हड़ताल (strike) जारी रखी है। एक मरीज के रिश्तेदार ने कहा कि ‘हमें यहां इलाज (Treatment) कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन डॉक्टर COVID19 महामारी के दौरान काम करने के बाद जायज मांगें उठा रहे हैं। ’ नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में देरी को लेकर डॉक्टर्स पिछले 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। एक दिन पहले विरोध ने नाटकीय मोड़ ले लिया, जब चिकित्सकों और पुलिस कर्मियों (police personnel) का सड़कों पर आमना-सामना हुआ और दोनों पक्षों ने आरोप (Blame) लगाया कि हाथापाई में कई लोगों को चोट लगी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डॉक्टरों  (doctors)की हड़ताल के बीच कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सफदरजंग अस्पताल परिसर में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।


अधिकारी ने बताया, ‘100 से अधिक पुलिस कर्मियों (police personnel)को तैनात किया गया है। यह अस्पताल (Hospital) में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए भी है। फिलहाल स्थिति सामान्य है और नियंत्रण में है। रेजिडेंट डॉक्टर यहां शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। ’ बाद में हालात सामान्य होने पर पुलिस (police) को अस्पताल से हटा लिया गया। सफदरजंग अस्पताल (Hospital)  के फैकल्टी एसोसिएशन ने झड़प की निंदा की, जबकि एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार से नीट पीजी काउंसलिंग में तेजी लाने के लिए अपनी योजनाओं का खुलासा करने का आग्रह किया, जिसमें विफल रहने पर उसने 29 दिसंबर को सांकेतिक हड़ताल (strike) की धमकी दी। फोर्डा ने सोमवार को यह भी कहा था कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) से सुप्रीम कोर्ट तक विरोध मार्च निकालने की कोशिश करने पर उसके कई सदस्यों को ‘हिरासत में’ लिया गया।

फोर्डा के अध्यक्ष ने दावा किया था कि सोमवार को बड़ी संख्या में प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने ‘सेवाओं की अस्वीकृति के प्रतीकात्मक संकेत में अपना एप्रन (लैब कोट) लौटा दिया।’ वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल के फैकल्टी एसोसिएशन ने सोमवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर कहा, ‘वे दिल्ली पुलिस द्वारा रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ पेश आए गए अस्वीकार्य, क्रूर और अमानवीय तरीके की कड़ी निंदा करते हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ दिल्ली पुलिस ने बेरहमी से मारपीट की।’ हालांकि, पुलिस ने सोमवार को अपनी ओर से लाठीचार्ज या अभद्र भाषा के इस्तेमाल के किसी भी आरोप से इनकार किया और कहा कि 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। पुलिस ने सोमवार की रात कहा कि कोविड उल्लंघन, दंगे और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

 

 

 

 

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