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‘प्रोपेगेंडा का नमक ना छिड़कें…’, द कश्मीर फाइल्स को नेशनल अवॉर्ड मिलने पर भड़के मनोज झा

नई दिल्ली: 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (National Film Awards) की घोषणा को लेकर विवाद (Controversy) बढ़ता जा रहा है. द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) को इस बार राष्ट्रीय एकता (National unity) की कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवॉर्ड मिला. कई राजनेताओं ने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया, साथ ही इसकी आलोचना भी की. राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने भी इस मसले पर तीखे वार किए हैं और सवाल किया है कि अभी देश में जख्मों पर मलहम लगाने की जरूरत है, ना कि इस तरह नमक छिड़कने की जरूरत है.

मनोज झा ने कहा कि अभी जरूरत है कि गुजरात से लेकर सिख विरोधी दंगों तक और मणिपुर की हिंसा तक हर मामले में लोगों को हीलिंग टच दिया जाए, लेकिन प्रोपेगेंडा वाली फिल्म को इस तरह पुरस्कार देना नमक छिड़कने जैसा है.मनोज झा ने सवाल किया कि आखिर ऐसी फिल्म को आपने राष्ट्रीय एकता की कैटेगरी में अवॉर्ड दिया, इसके जरिए आप कौन-सी एकता सुधारना चाह रहे हैं.

कई नेताओं ने किया विरोध
सिर्फ मनोज झा ही नहीं बल्कि अन्य कई नेताओं ने डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स को अवॉर्ड दिए जाने पर आपत्ति जताई थी. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भी इस फिल्म को सम्मान मिलने का विरोध किया था.


स्टालिन ने कहा था कि सस्ती राजनीति के लिए इस तरह राष्ट्रीय पुरस्कारों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. जिस फिल्म पर समीक्षकों ने ही सवाल उठाए थे, उसे ही ऐसा अवॉर्ड देना सही नहीं है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस फिल्म को अवॉर्ड मिलने पर तंज कसा था और लिखा था कि राष्ट्रीय एकता, साथ ही हंसने वाली इमोजी भी डाली थी.

विवादों में रही थी फिल्म
उमर अब्दुल्ला के ट्वीट पर फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने भी रिएक्ट किया था और कहा था कि आपकी ओर से ऐसा कमेंट आना ही मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है. बता दें कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म साल 2022 में आई थी, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था. तब भी विपक्ष की कई पार्टियों ने इस फिल्म को एजेंडे से भरपूर बताया था, हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फिल्म की तारीफ की थी जिसके बाद देशभर में फिल्म को बड़ी संख्या में लोगों ने देखा था.

साल 2022 में रिलीज़ हुई द कश्मीर फाइल्स 90 के दशक में जम्मू-कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के निकाले जाने की घटना पर आधारित थी. सिर्फ 30 करोड़ के बजट में बनी ये फिल्म 300 करोड़ से अधिक का कारोबार कर गई थी, हालांकि आरोप लगा था कि फिल्म में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था.

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