नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (corona virus) का खतरा भारत सहित पूरी दुनिया में इस समय बढ़ता ही जा रहा है। इस समय देश में तीसरी लहर के दौरान तीन लाख से ज्यादा कोरोना (corona virus) के मरीज हर दिन सामने आ रहे हैं। ऐसे में अब बूस्टर डोज या प्रीकॉशन डोज यानि हेल्थ केयर वर्कर्स और 60+ जिन्हें कोई comorbidity है, उनको वैक्सीन की तीसरी डोज दी जाने लगी है, हालांकि तीसरी खुराक अभी सभी के लिए नहीं है, इस पर सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है।
बता दें कि कोरोना वायरस पर काबू करने के लिए इस समय वैक्सीन और मास्क ही एक मात्र उपाए है। देश में पहला और दूसरा टीका लग चुका है, किन्तु कई मरीज ऐसे आ रहे हैं जिन्हें दोनों डोज लग गए है फिर भी संक्रमित हो रहे है ऐसे अब सरकार ने अब बूस्टर डोज या प्रीकॉशन डोज यानि हेल्थ केयर वर्कर्स और 60+ जिन्हें कोई comorbidity है, उनको वैक्सीन की तीसरी डोज दी जाने लगी है, हालांकि यह खुराक सभी के लिए नहीं हैं। केंद्र सरकार जल्द ही कोविड टीकों की तीसरी खुराक या बूस्टर खुराक को लेकर बनाई गई अपनी नीति पर फिर से विचार करके इसे बदल सकती है।
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा नीति के अनुसार, सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत तीसरी या बूस्टर खुराक दी जा सकती है। परंतु सरकार की ओर से तय मानदंड के अनुसार यह स्वास्थ्य कर्मियों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सह-रुग्णता के साथ एहतियाती खुराक दी जा सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमें सभी को बूस्टर खुराक देने को लेकर एक बार फिर से विचार करना होगा। नीति पर विचार करना होगा। अधिकारी ने कहा कि दूसरे देशों के उदाहरण हमारे सामने हैं, जिन्होंने बूस्टर डोज दी, इसके बावजूद भी वहां कोरोना के मामले नहीं घटे। ऐसे में हम आंख मूंदकर दूसरे देशों ने जो किया, वैसा ही नहीं करेंगे। हमें अपने स्थानीय स्तर पर महामारी से जुड़ी परिस्थितियों और विज्ञान को देखना होगा और उनके आकलन के आधार पर निर्णय करने होंगे।
बता दें कि कोविड-19 के लिए टीकाकरण पर बने राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) और डब्ल्यूएचओ (WHO) की गत दिवस एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें बूस्टर डोज के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई। अधिकारी के अनुसार डब्ल्यूएचओ (WHO) और एनटीएजीआई के सदस्यों के विशेषज्ञों ने बूस्टर डोज देने वाले देशों के आंकड़ों और कोरोना के मामलों का तुलनात्मक आकलन किया।
वहीं दूसरी ओर डब्ल्यूएचओ की ओर से भी जल्द ही बूस्टर खुराक को लेकर मार्गदर्शन मिलने की संभावना है। देश में स्वास्थ्य और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को 10 जनवरी के बाद से अब तक कुल 86.87 लाख एहतियाती खुराक दी गई हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, लगभग तीन करोड़ ऐसे स्वास्थ्य और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी हैं, जिन्हें एहतियाती खुराक लगाई जा सकती है और जो इसके मापदंडों को पूरा करते हैं। इसके अलावा देश में 60 वर्ष की आयु से अधिक और सह-रुग्णता वाले करीब 2.75 करोड़ लोगों के होने का अनुमान है।
हाल ही में यूएस की एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने किशोरों के लिए एहतियाती खुराक या बूस्टर डोज के लिए पात्रता मानदंडों में विस्तार किया था, हालांकि कई विशेषज्ञों का कहना है कि बूस्टर शॉट्स एक स्थायी दीर्घकालिक रणनीति नहीं हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के (WHO) विशेषज्ञ भी पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि कोविड-19 के मूल टीकों की बूस्टर खुराक को दोहराव नए वैरिएंट के खिलाफ एक व्यवहार्य रणनीति नहीं है। Share: