इंदौर न्यूज़ (Indore News)

एडीएम कोर्ट में ही महीनों से पेंडिंग पड़े दर्जनों मामले

एसडीएम और तहसीलदार का वेतन कटा लेकिन

उच्च अधिकारियों पर नहीं चला डंडा, आदेश अपलोड तक नहीं किए, आवेदक परेशान

इंदौर। राजस्व के लम्बित मामलों के निराकरण को लेकर सरकार (Govt.) द्वारा चलाए गए महाअभियान में रैकिंग (Ranking) गिराने और काम नहीं करने पर एसडीएम (SDM) और तहसीलदार (Tehsildar) को फटकार के साथ वेतन कटने का खामियाजा भुगतना पड़ा, लेकिन उच्च अधिकारियों पर आंच भी नहीं आई, जबकि सैकड़ों मामले एडीएम कोर्ट (ADM Court) आदेश अपलोड करने और अमल करने में सबसे पीछे है।


राजस्व के महाअभियान में कलेक्टर की फटकार पड़ी तो एसडीएम और तहसीलदारों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर मामलों का निराकरण कर लिया। 10 मार्च तक चले इस महाअभियान के दौरान एसडीएम और तहसीलदार स्तर पर समीक्षा की गई, लेकिन कोई खासा सुधार देखने को नहीं मिला। अभियान के दौरान इंदौर की रैकिंग 37 नं. तक पहुंची जरूर, लेकिन काम पूरे नहीं होने के कारण महाअभियान के खत्म होने तक इंदौर की रैकिंग धराशायी हो गई और 40वें नम्बर पर जा गिरी। कार्य में गति लाने के लिए कलेक्टर ने दो एसडीएम का जहां एक दिन का वेतन रोक दिया। वहीं दो एसडीएम के कार्यक्षेत्र में भी बदलाव कर दिया गया। इसका नतीजा यह रहा कि जल्दबाजी के चक्कर में काम करने के चक्कर में तहसीदारो ने अधिकांश मामलों को निराकृत करने की जगह उन्हें निरस्त करना सही समझा, जिसके बाद आवेदकों से नए सिरे से आवेदन लगवाकर सुनवाई की जा रही है। महाअभियान में जिन मामलों का निराकरण किया गया था, उनके आदेश अभी तक पोर्टल पर अपलोड ही नहींं किये गए हैं। तहसीलदार और एसडीएम द्वारा दिए गए आदेशों को अमल कराने पर किसी का ध्यान नहीं है। अब आवेदक कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।

दो बोर्ड सैकड़ों आवेदन
यदि अपर कलेक्टर बोर्ड में लम्बित मामलों पर नजर दौड़ाई जाए तो सबसे ज्यादा मामले एडीएम रोशन राय और गौरव बेनल के न्यायालय में लम्बित है। इसमें से सबसे ज्यादा मामले 6 माह से अधिक के भी है। अपर कलेक्टर रोशन राय के न्यायालय में निगरानी के मामले ही लगभग आठ माह से लम्बित है। आवेदक ने शिकायत करते हुए बताया कि एक माह में जैसे तैसे आदेश हुए, लेकिन वहीं आदेश अपलोड नहीं किया जा रहा है। संबंधित रीडर या अधिकारी से मुलाकात करने पर टालमटोली ही नसीब हो रही है। अपर कलेक्टर राय की कोर्ट में पूर्व फौजी का निगरानी का मामला भी लम्बे समय से चल रहा है, जिसमें अब तक आदेश नहीं हो पाए है।

तहसील की गलती हम कैसे सुधारें
खातों मे हुई गलतियों के सुधार के संबंध में भी भू राजस्व संहिता के अनुसार एसडीएम न्यायालय को निर्णय लेना है। तहसीलदार व पटवारी के मा्ध्यम से हुई गलतियों में सुधार को लेकर आवेदकों ने आवेदन दिए थे, जिसमें पटवारी रिपोर्ट से लेकर अपर कलेक्टर के आदेश मिलने के बावजूद भी मामलों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। जनवरी माह से चले आ रहे कई आवेदनों को लेकर एसडीएम निराकरण करने के बजाय बहाने दे रहे हैं कि तहसीलदार की गलती हम कैसे सुधारे और अब जिला प्रशासन चुनाव के कार्य में व्यस्त हो गया है, जिसके चलते आवेदकों को सिर्फ धक्के ही नसीब होंगे।

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