महाराष्ट्र के मध्य में भंडारा (Bhandara) जैसे हलचल भरे शहर के बीच एक ऐसा व्यक्ति रहता है, जिसका जीवन समाज की भलाई के लिए सेवा, नेतृत्व और समर्पण का प्रतीक है। डॉ. प्रशांत वाई. पडोले (Dr. Prashant Y Padole) एक प्रतिष्ठित चिकित्सक (doctor) हैं ने न केवल अटूट प्रतिबद्धता के साथ अपने समुदाय की सेवा की है, बल्कि प्रशासन (Administration) और सामाजिक (Social) सक्रियता के क्षेत्र में भी कदम रखा है और भंडारा और उससे आगे के परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
24 सितंबर 1978 को प्रसिद्ध सहकार महर्षि स्व. यादोरावजी पडोले से डॉ. प्रशांत को सेवा और नेतृत्व की विरासत मिली। भंडारा जिला दुग्ध महासंघ और भंडारा जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में उनके पिता के उल्लेखनीय कार्यकाल ने सार्वजनिक सेवा में डॉ. प्रशांत को अपनी यात्रा के लिए मंच तैयार किया।
शिक्षा ने डॉ. प्रशांत के प्रयासों का मार्ग प्रशस्त किया। फिजिशियन अध्ययन में एमडी की डिग्री के साथ, उन्होंने यादोरावजी पडोले मेमोरियल अस्पताल में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में अपना कैरियर शुरू किया।
राजनीति से परे डॉ. प्रशांत का योगदान समाज के ढांचे तक फैला हुआ। 2003 में कुनबी समाज भंडारा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उत्थान और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय कांग्रेस महाराष्ट्र के साथ उनकी दीर्घकालिक भागीदारी आम नागरिक को लाभ पहुंचाने वाली नीतियों की वकालत करने की उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
फिर भी ड़ॉ. प्रशांत की महत्वकांक्षाएं सत्ता के गलियारों से कहीं आगे तक फैली हुई है। उनको सर्वोपरि लक्ष्य मानवता की सेवा करना और पर्यावरण की रक्षा करना है। 18 वर्षों से अधिक समय से वह भंडारा और गोंदियां जिलों के लोगों के लिए आशा की किरण रहे हैं और सामाजिक असमानताओं और पर्यावरणीय गिरावट को संबोधित करने वाले मुद्दों का समर्थन कर रहे हैं। प्रत्येक प्रयास में डॉ. प्रशांत पडोले सत्यनिष्ठा, करुणा और नेतृत्व का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
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