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डॉ. त्रेहान बोले ‘ये वैक्सीन हमारे लिए सबसे सही’, बताईं वजहें


नई दिल्ली । कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) को लेकर सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की अहम बैठक हुई. इसमें ऑक्सफोर्ड एस्ट्रेजेनेका (Oxford AstraZeneca) की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड (Corona Vaccine Covishield) को इमरजेंसी अप्रूवल देने पर विचार किया गया. जिसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) द्वारा बनाई जा रही कोविशील्ड वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई. हालांकि सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की कोविशील्ड को पैनल से मंजूरी के लिए सिफारिश मिल गई है. लेकिन अभी इस पर अंतिम फैसला DCGI द्वारा लिया जाना है.

देश की पहली कोरोना वैक्सीन पर चर्चा के दौरान मेदांता अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर नरेश त्रेहान ने कहा कि आज देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. सीरम इंस्टीट्यूट जो वैक्सीन बना रहा है उसकी स्टोरेज 2 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड है यानी हम उसे फ्रिज में रख सकते हैं. और उसकी कीमत भी कम है. इसके साथ ही उसकी प्रोडक्शन कैपेसिटी भी इतनी है कि हमें पर्याप्त डोज उपलब्ध हो जाएंगी. हिंदुस्तान की बात करें तो हमें 100 करोड़ से भी ज्यादा डोज चाहिए होंगे इसलिए ये वैक्सीन (कोविशील्ड) हमारे लिए सबसे उपयुक्त थी. और आज इसका अप्रूवल मिलने का मतलब ये है कि अब दो-चार दिनों के भीतर इसकी आगे की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.

मेदांता के सीएमडी डॉक्टर नरेश त्रेहान (Dr. Naresh Trehan) ने आगे कहा कि कल से ड्राई रन पूरे देश में होने वाला है. इसका मतलब 3-4 दिन में इसकी (वैक्सीनेशन ड्राइव) शुरुआत हो जाएगी. ये बड़ी उपलब्धि है खासकर फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए, क्योंकि वे सबसे ज्यादा खतरे में रहते हैं. इसके बाद बुजुर्गों या गंभीर बीमारी वाले मरीजों को दी जा सकती है. ऐसे कई ग्रुप्स हैं जिनका बारी-बारी से नंबर आता जाएगा. आने वाले 3 से 6 महीनों में हमें बहुत बड़ी राहत मिल सकती है.

वैक्सीनेशन ड्राइव पर बात करते हुए डॉक्टर त्रेहान ने कहा कि हिंदुस्तान के लिए ऐसा पहली बार नहीं है कि पहली बार ऐसी ड्राइव चल रही हो. हमने कई बार कई वायरस को मात दी है. भारत में इसके लिए कई दिनों से तैयारी चल रही है. कई हफ्तों से प्लानिंग हो रही है. दो और वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं. भारत बायोटेक का डेटा भी एनलाइज हो रहा है उसको भी जल्द ही अप्रूवल मिल सकती है. उससे भी हमें बहुत राहत मिलेगी.

वैक्सीन के डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम से जुड़े एक सवाल के जवाब में डॉक्टर त्रेहान ने कहा कि फिलहाल तो डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम में सरकार का बहुत बड़ा योगदान होगा. शुरुआत में तो सरकार ही तय करेगी कि कहां वैक्सीन स्टोर होगी, कहां सप्लाई होगी. लेकिन आने वाले समय में जब वैक्सीन की डोज ज्यादा हो जाएंगी तो पब्लिक को च्वाइस दी जा सकती है.

डॉक्टर त्रेहान ने कहा कि समय के साथ ही वैक्सीन को लेकर लोगों की सारी चिंताएं दूर हो जाएंगी. उन्होंने कहा, “फ्रंटलाइन वर्कर्स, डॉक्टर्स, नर्स सभी लोग पिछले 10 महीनों से लगातार काम कर रहे हैं. इसलिए वैक्सीन के आने के बाद उन्हें बड़ी राहत मिलने वाली है. लोगों को वैक्सीन को लेकर हमेशा ही आशंका रहती है लेकिन जैसे-जैसे ड्राइव आगे बढ़ेगी लोगों को उसके परिणाम दिखने लगेंगे उसके साथ ही आशंकाएं दूर होती रहेंगी. जब हम 60 से 70 फीसदी आबादी को वैक्सीनेट कर लेंगे तो हर्ड इम्युनिटी डवलप हो जाएगी जिसके बाद वायरस के फैलने के चांस बहुत कम हो जाएंगे.”

एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नए साल के साथ ही यह बहुत ही अच्छी खबर है. अब हमारा अगला कदम होगा कि वैक्सीन अपने देश में हम लोगों को कैसे लगाएंगे. हम उम्मीद करते हैं कि जैसे ये वैक्सीन अप्रूव हुई है वैसे ही जो दो वैक्सीन और फाइनल फेज में हैं वो भी अप्रूव हो जाएंगी जिससे नंबर ऑफ डोज बढ़ जाएंगे और इस साल सब लोगों को वैक्सीन लगाने में सहुलियत हो जाएगी.

गुलेरिया ने कहा कि जब भी हमें वैक्सीन बनानी होती है तो हमें तीन चींजें देखनी होती है. एक तो एंटीजेन जिसे हम वायरस से लेते हैं और जो हमारे शरीर में एंटीबॉडीज डेवलप करता है. कोरोना वायरस की बात करें तो इसका जो एंटीजेन है वो स्पाइक प्रोटीन है तो स्पाइक प्रोटीन का एक हिस्सा लिया जाता है जिससे वो किसी व्यक्ति के बॉडी में आएगा तो एंटीबॉडीज बनाएगा. दूसरा है प्लेटफॉर्म जिसके जरिए ये अंदर जा सकता है. नया प्लेटफॉर्म जो है जिसे हम मैसेंजर आरएनए प्लेटफॉर्म कहते हैं वो हमारे शेल को स्टुमिलेट करता है कि वो स्पाइक प्रोटीन बनाए जिससे एंटीबॉडीज बनती हैं.

इस दौरान डॉक्टर गुलेरिया ने यह भी कहा कि तीसरा पार्ट है रूट ऑफ एडिमिनिस्ट्रेशन और कितने डोज की जरूरत है तो कई वैक्सीन जो अभी तक हमारे पास आई हैं वो इंट्रामस्क्युलर हैं लेकिन कुछ वैक्सीन जो अंडर ट्रायल हैं वो नेजल स्प्रे पर भी हैं ताकि इंजेक्शन न लगाना पड़े. या फिर उनके डोज पर भी काम हो रहा है ताकि दो डोज की जगर एक ही डोज हो पाए. लेकिन अभी तक जो वैक्सीन अप्रूवल के स्टेज पर हैं वो दो डोज वाली हैं और इंट्रामस्क्युलर हैं. लेकिन हो सकता है कि आगे कुछ ऐसी वैक्सीन भी आ जाएं जिन्हें देने में आसानी हो. गुलेरिया ने आगे कहा कि हम जो वैक्सीन इस्तेमाल करेंगे वो पूरी दुनिया के लिए मिसाल बनेगी.

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