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इस Vaccine के कारण युवाओं में बढ़ा हृदय रोग का खतरा, गंभीर स्थिति में हो सकती है मौत

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए विशेषज्ञ वैक्सीनेशन को सबसे प्रभावी उपाय मानते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए दुनियाभर में वैक्सीनेशन अभियान को तेज कर दिया गया है। भारत में मौजूदा समय में कोरोना की फिलहाल तीन वैक्सीन- कोविशील्ड, कोवैक्सीन और रूस द्वारा निर्मित स्पूतनिक उपलब्ध है। देश में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है।

इस बीच वैक्सीनेशन को लेकर प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इसके कुछ गंभीर दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को सचेत किया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि दुनिया की बड़ी आबादी को दी जा रही फाइजर वैक्सीन के कारण लोगों में तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन के दौरान फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन ले चुके युवाओं में हृदय से जुड़ी मायोकार्डिटिस बीमारी की पुष्टि की है। तो क्या फाइजर वैक्सीन के इस्तेमाल को तुरंत रोक देना चाहिए? जानिए इस बारे में वैज्ञानिकों की क्या राय है?

मायोकार्डिटिस के मामले सामने आए
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक अध्ययन में 30 वर्ष या उससे कम उम्र के लोगों में फाइजर वैक्सीन लेने के बाद मायोकार्डिटिस के 200 से अधिक मामलों की पुष्टि की है। वैक्सीनेशन के बाद युवाओं में देखी जा रही इस गंभीर समस्या के बारे में चर्चा करने के लिए सीडीसी की सलाहकार समिति ने 18 जून को आपात बैठक भी बुलाई है। गौरतलब है कि ब्रिटेन सहिए तमाम देशों में फाइजर वैक्सीन को प्रयोग में लाया जा रहा है।


युवा हो रहे हैं ज्यादा शिकार
सीडीसी के टीकाकरण सुरक्षा कार्यालय के उप निदेशक डॉ टॉम शिमाबुकुरो कहते हैं, 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में टीकाकरण के बाद मायोकार्डिटिस और पेरीकार्डिटिस के 226 मामलों की पुष्टि हुई है। क्या टीकाकरण के कारण ही यह बीमारी हो रही है? इस बारे में जानने के लिए और विस्तार से अध्ययन किया जा रहा है। सीडीसी के अधिकारियों ने बताया कि जिन युवाओं में इस तरह की शिकायतें देखी गई थीं, उनमें दवा के बाद फायदा भी देखा गया है। फिलहाल इन मामलों के आधार पर वैक्सीनेशन अभियान को रोकने की आवश्यकता नहीं है। आगे के अध्ययनों में इस संबंध में और विस्तार से जानने को मिल सकता है।

मायोकार्डिटिस क्या है?
मायोकार्डिटिस, हृदय की मांसपेशियों में सूजन का कारण बनने वाली समस्या है। डॉक्टरों के मुताबिक यह मांसपेशियां रक्त को पंप करके शरीर के बाकी हिस्सों में पहुंचाने का काम करती हैं। इनमें सूजन आ जाने की स्थिति में इसकी रक्त पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण दिल की धड़कन में असामान्यता, सीने में दर्द या सांस लेने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गंभीर मामलों में यह रक्त के थक्कों का कारण बन सकता है जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण लोगों की जान भी जा सकती है।

इजराइल में भी सामने आए हैं ऐसे मामले
सीडीसी रिपोर्ट के अलावा इज़राइल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी 275 ऐसे मामले दर्ज किए हैं जिनमें लोगों में वैक्सीन लेने के बाद हृदय संबंधी समस्याएं देखी गईं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दिसंबर 2020 से मई 2021 तक करीब 5 मिलियन लोगों ने फाइजर-बायोएनटेक के टीके लिए थे जिनमें से 275 लोगों में इस तरह की शिकायत देखने को मिली है।

कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर भी उठे सवाल
ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के अनुसंधानकर्ताओं के नेतृत्व में हुए अध्ययन में पाया गया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के कारण रक्त में प्लेटलेट की कमी हो सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कोविशील्ड वैक्सीन के कारण ऐसे मामले जरूर सामने आए हैं, हालांकि इसकी संख्या बहुत ही कम है। यह अध्ययन जर्नल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक यह स्थिति प्रति 10 लाख खुराक में करीब 11 लोगों में हो सकती है।  65 से 70 साल की आयु वाले लोगों (जिन्हें पहले से ही दिल की बीमारी, मधुमेह या किडनी की बीमारी) में इसका खतरा अधिक देखने को मिला है। 

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