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दुर्गा नवमी: आज मां सिद्धिदात्री की इस तरह करें पूजा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

आज शारदीय नवरात्रि की महानवमी (Mahanavami) है। नवरात्रि के 9वें दिन मां दुर्गा के नवमें रूप मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा अर्चना के बाद नवमी तिथि को नवरात्रि (Navratri) व्रत का पारण करने वाले लोग कन्या पूजन के बाद अपना व्रत खोल सकेंगे। हालांकि कोरोना के कारण इस बार भी कन्या पूजन करने से बचें। धार्मिक पुराणों में सुपात्र को दिए गए दान को महादान बताया गया है। नवरात्रि की नवमी के दिन भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से भक्तों को विशेष सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मान्यता तो यह भी है कि भोले शंकर महादेव (Shiva) ने भी सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री तपस्या की थी।

मां सिद्धिदात्री का स्वरुप
मां सिद्धिभुजा दात्री का स्वरुप आभामंडल से युक्त है। मां सिद्धिदात्री लाल रंग की साड़ी पहने हुए कमल पर विराजमान हैं। मां की चार भुजाएं हैं। बाईं भुजा में मां ने गदा धारण किया है और दाहिने हाथ से मां कमल पकड़ा है और आशीर्वाद दे रही हैं। मां के हाथों में शंख और सुदर्शन चक्र भी है। मां पालथी मारकर कमल पर बैठी हैं। उनका एक चरण नीचे की तरफ है। देवीपुराण में इस बात का उल्लेख है कि भगवान शिव (Lord Shiva) ने सिद्धियां प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री का तप किया तब जाकर कहीं उनका आधा शरीर स्त्री का हुआ। देवी के आशीर्वाद के कारण ही भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर के रूप में जाने गए।

पूजा- विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं। मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती अवश्य करें।


मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक
तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
हाथ, सेवक, केसर, धरती हो तुम,
तेरी पूजा में न कोई विधि है
तू जगदंबे दाती, तू सर्वसिद्धि है
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तू सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उस के रहे न अधूरे
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली जो है तेरे
दर का ही अम्बे सवाली, हिमाचल है पर्वत
जहां वास तेरा, महानंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता…

मां सिद्धिदात्री का मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु सिद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:

नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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