ब्‍लॉगर

हेल्थ केयर फैसिलिटी की सहज उपलब्धता जरूरी

– डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

भले ही लाख दावे किए जाते रहे हों पर भारत ही नही दुनिया के अधिकांश देशों में हेल्थ केयर फैसिलिटी की की स्थिति संतोषजनक नहीं है। दुनिया का कोई एक देश चाहे वह अमेरिका ही क्यों न हो कोरोना के दौरान अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर खरा नहीं उतर सका। ऐसे लगा जैसे चारों और सब असहाय हो गए। जो कुछ भी उस दौरान हुआ उसे देश की भाषा में भगवान भरोसे कहते हैं। मेडिकल क्षेत्र में एक से एक अग्रणी देश कोविड के सामने हार मानने को मजबूर हो गए। खासतौर से सबसे अधिक समस्या हेल्थ केयर फैसिलिटी को लेकर आई। ईश्वर न करे कभी कोरोना जैसी महामारी दुनिया में आए। कोविड के सबक को देखते हुए दुनिया के देशों को हेल्थ केयर फैसिलिटी के विस्तार की ओर तो अब ध्यान देना ही होगा।

कहने को कोरोना दौर अब अवसान की ओर है पर कोरोना ने जो सबक सिखाए हैं उनसे सीख लेकर आगे बढ़ने का अब समय आ गया है। भारत में भी कोरोना के पहले दौर में डरावनी स्थिति रही। दूसरे दौर में ऑक्सीजन की कमी ने कोहराम मचाया। ऑक्सीजन प्लांट लगाने और ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की मांग घर-घर में होने लगी तो इनके निर्माताओं ने चांदी कूटने में कोई कमी नहीं छोड़ी। ऐसे में अब भविष्य की चुनौतियों की और ध्यान देना आवश्यक हो गया है। इसके बाद जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता कोविशिल्ड और कोवेक्सिन का निर्माण काबिले तारीफ है। यह दूसरी बात है कि कुछ लोभी व मानवता के दुश्मन इस अवसर को भी भुनाने का प्रयास करते रहे। जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी और मुनाफाखोरी में पीछे नहीं रहे। खैर इस तरह के लोग तो हर युग व हर समाज में होते आए हैं।

इस बीच हेल्थ केयर फैसिलिटी की खासी कमी ने लोगों को खूब रुलाया। कोरोना से सबक लेते हुए अब चिकित्सा सेवाओं के विस्तार की अधिक आवश्यकता हो गई है। कहने को तो देश में नए एम्स खुलने के साथ ही सरकारी अस्पतालों में तेजी से विस्तार हो रहा है। देश में निजी क्षेत्र के बड़े-बड़े ग्रुप्स यहां तक कि अब तो पांच सितारा अस्पतालों में होड़ मच गई है। इस सबके बावजूद हेल्थ केयर की बेसिक फैसिलिटी से दो चार होना पड़ा है। कोरोना के समय बेसिक हेल्थ केयर फैसिलिटी क्या चाहिए थी। अस्पताल में एक बिस्तर, आक्सीजन की सुविधा और बीमारी के समय अस्पताल में उपलब्ध होने वाली सामान्य सुविधा। भारत ही नहीं, दुनिया के अधिकांश देशों को इस बेसिक फैसिलिटी से दो-चार होना पड़ा।

अब सरकारों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में चिकित्सकों, मेडिकल और पेरा मेडिकल कार्मिकों और सामान्य सुविधाओं के विस्तार की ओर ध्यान देना होगा। स्वास्थ्य सेवाओं में आधारभूत संरचना विकसित करनी होगी।ताकि भविष्य में आम आदमी खासतौस से गरीब से गरीब आदमी को आसानी से हेल्थ केयर फेसिलिटी उपलब्ध हो सके। इसके साथ ही निजी क्षेत्र के चिकित्सालयों में भी एक सीमा तक आम आदमी की पहुंच को आसान बनाना होगा। क्योंकि निजी क्षेत्र के विकास के लिए भी सरकार भूमि से लेकर अन्य तरह की पचासों रियायतें उपलब्ध कराती है तो एक सीमा तक आम आदमी को भी वहां उसकी पहुंच के बजट में सुविधाएं उपलब्ध हों।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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