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बुजुर्ग दिव्यांग खाट पर पहुंचा कोर्ट, जज ने चंद मिनटों में किया 40 साल पुराने केस का समाधान

नई दिल्‍ली (New Dehli )। दोजीराम दिव्यांगता (disability) के कारण पहली मंजिल (Destination) पर संचालित कोर्ट (court) में उपस्थित होने में असमर्थ (Unable) था। इस पर पीठासीन अधिकारी स्वयं दोजीराम के पास गए। दोजीराम ने अपना अपराध (Crime) स्वीकार करते हुए कोर्ट से माफी (Forgiveness) मांगी।

नोएडा सेक्टर-20 थाना क्षेत्र में लूट की कोशिश के करीब चार दशक पुराने केस में आरोपी बीमार बुजुर्ग दोजीराम (70) को सोमवार को खाट पर अदालत में लाया गया। अब दिव्यांग हो चुके आरोपी की शारीरिक हालत की जानकारी होने के बाद पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा पहली मंजिल स्थित न्यायालय ने नीचे आकर आरोपी से मिले। इसके बाद उन्होंने आरोपी पर सौ रुपये का जुर्माना लगाकर करीब चार दशक पुराने इस मामले का निस्तारण कर दिया।


सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) गौतमबुद्धनगर की अदालत में वर्ष 1984 से आईपीसी की धारा-394 का एक केस विचाराधीन था। इस मामले में आरोपी आजमगढ़ निवासी दोजीराम 1998 से न्यायालय में गैर हाजिर चल रहा था। संबंधित न्यायालय द्वारा 2022 में दोजीराम के विरुद्ध गैर जमानती वारंट (एनबीडब्लू) जारी किया गया था। इस पर आरोपी की जमानत उसके भतीजे मोनू कश्यप एवं भीम कुमार द्वारा ली गई थी।

दोजीराम को कोर्ट में पेश होने को समझाया गया : पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा द्वारा पत्रावली का गंभीरता से संज्ञान लिया गया और कोर्ट द्वारा 19 जुलाई 2023 को दोजीराम के विरुद्ध फिर एनबीडब्लू और उसके जमानतियों के विरुद्ध नोटिस जारी किया गया। इस पर संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया कि आरोपी दोजीराम अत्यधिक वृद्ध है और चलने-फिरने में भी असमर्थ है। दोनों जमानतियों द्वारा न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर इसका समर्थन किया गया। पीठासीन अधिकारी द्वारा जमानतियों को मुकदमें की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दोजीराम को कोर्ट में उपस्थित होने और मुकदमे के निस्तारण के लिए समझाया गया। इस पर जमानतियों मोनू कश्यप और भीम कुमार द्वारा आरोपी दोजीराम को सोमवार को कोर्ट परिसर में उपस्थित कराया गया।

दिव्यांगता के कारण कोर्ट में पेश होने में असमर्थ था आरोपी : दोजीराम दिव्यांगता के कारण पहली मंजिल पर संचालित कोर्ट में उपस्थित होने में असमर्थ था। इस पर पीठासीन अधिकारी स्वयं दोजीराम के पास गए। दोजीराम ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए कोर्ट से माफी मांगी। इस पर पीठासीन अधिकारी द्वारा दोजीराम की शारीरिक और आर्थिक स्थिति को देखते हुए न्यूनतम 100 रुपये के अर्थदण्ड से दंडित करते हुए जनपद न्यायालय गौतमबुद्धनगर के प्राचीनतम फौजदारी वाद का निस्तारण कर दिया गया।

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