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चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े किए सार्वजनिक, चौंकाने वाले तथ्य आए सामने

नई दिल्‍ली (New Delhi) । चुनाव आयोग (election Commission) ने बृहस्पतिवार को अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड (Eelectoral Bonds) के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए। अब इनको लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों (Political parties) को चंदा देने वाली शीर्ष पांच कंपनियों में से तीन ने इलेक्टोरल बॉन्ड उस वक्त खरीदे जब उनके यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग की जांच चल रही थी। इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और खनन की दिग्गज कंपनी वेदांता शामिल हैं।

फ्यूचर गेमिंग नंबर वन
चुनाव आयोग द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों में इलेक्टोरल बॉन्ड का नंबर 1 खरीदार सैंटियागो मार्टिन द्वारा संचालित फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड है। लॉटरी कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच 1,300 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। ईडी ने 2019 की शुरुआत में फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। उस साल जुलाई तक, उसने कंपनी से संबंधित 250 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी। 2 अप्रैल 2022 को ईडी ने मामले में 409.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की थी। इन संपत्तियों की कुर्की के पांच दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने सैंटियागो मार्टिन और उनकी कंपनी मेसर्स फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस (पी) लिमिटेड के खिलाफ पीएमएलए के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की थी। इस कंपनी का नाम वर्तमान में मेसर्स फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज (पी) लिमिटेड और पूर्व में मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड था। ईडी की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर एक चार्जशीट के बाद शुरू हुई थी।


ईडी के अनुसार, मार्टिन और अन्य ने लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत लाभ प्राप्त करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची। ईडी ने 22 जुलाई, 2019 को एक बयान में कहा, “मार्टिन और उनके सहयोगियों ने 01.04.2009 से 31.08.2010 की अवधि के दौरान पुरस्कार विजेता टिकटों के दावे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर 910.3 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की।”

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
राजनीतिक दलों को दूसरा सबसे बड़ा दानदाता हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) है। इसने 2019 और 2024 के बीच 1000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। कृष्णा रेड्डी द्वारा संचालित, मेघा इंजीनियरिंग तेलंगाना सरकार की कालेश्वरम बांध परियोजना जैसी प्रमुख परियोजनाओं में शामिल है। यह जोजिला सुरंग और पोलावरम बांध का भी निर्माण कर रही है।

अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की थी। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की ओर से भी जांच शुरू की गई। संयोग से, उसी साल 12 अप्रैल को एमईआईएल ने 50 करोड़ रुपये के पोल बांड खरीदे थे। पिछले साल, सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए चीनी इलेक्ट्रिक कार निर्माता BYD और उसके हैदराबाद स्थित भागीदार MEIL के 1 बिलियन डॉलर के निवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

वेदांता समूह भी रडार पर
अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह पांचवां सबसे बड़ा दानकर्ता है। इसने 376 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं, जिसकी पहली किश्त अप्रैल 2019 में खरीदी गई थी। लेकिन ज्ञात हो कि 2018 के मध्य में, ईडी ने दावा किया कि उसके पास वीजा के लिए रिश्वत मामले में वेदांत समूह की कथित संलिप्तता से संबंधित सबूत हैं, जहां कुछ चीनी नागरिकों को नियमों को कथित रूप से तोड़कर वीजा दिया गया था।

ईडी द्वारा सीबीआई को भेजे गए एक रिफ्रेंस में 2022 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की। 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता लिमिटेड ने 39 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे। अगले चार वर्षों में, 2020 के महामारी वर्ष को छोड़कर, नवंबर 2023 तक, इसने 337 करोड़ रुपये से अधिक के बांड खरीदे, जिससे वेदांता द्वारा खरीदे गए बॉन्ड का कुल मूल्य 376 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

जिंदल स्टील एंड पावर भी शीर्ष 15 दानदाताओं में से एक है। कंपनी ने इस अवधि में बॉन्ड के माध्यम से 123 करोड़ रुपये का दान दिया है। जबकि कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच का सामना करना पड़ा है। ईडी ने अप्रैल 2022 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक ताजा मामले के संबंध में कंपनी और उसके प्रमोटर नवीन जिंदल के परिसरों पर छापा मारा था।

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