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Election: किसी ने किया स्वागत, किसी को ‘डिजिटल प्रचार’ से परेशानी

नई दिल्ली। देश के पांच राज्यों में होने जा रहे चुनावों (Election Dates Announced) का ऐलान कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने बताया कि 10 फरवरी से 10 मार्च के बीच में पूरी चुनावी प्रक्रिया को संपन्न कर लिया जाएगा। यूपी में सात चरणों में चुनाव होने जा रहे हैं। पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को एक चरण में मतदान करवाया जाएगा। वहीं मणिपुर का चुनाव दो चरणों में पूरा होगा. सभी राज्यों के नतीजे 10 मार्च को सामने आ जाएंगे। अब इन तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। अब क्योंकि ये चुनाव कोरोना संकट के बीच हो रहे हैं, ऐसे में सभी पार्टियों पर कई तरह की पाबंदियां भी लगा दी गई हैं। सबसे बड़ी पाबंदी तो यही है कि 15 जनवरी तक कोई रैली या फिर नुकड़ सभा का आयोजन नहीं किया जाएगा। अब आयोग की इस सख्ती पर और तारीखों के ऐलान पर सभी नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक तरफ दावा कर दिया कि 10 मार्च को बीजेपी का सत्ता से जाना तय है, तो वहीं दूसरी तरफ डिजिटल प्रचार पर अपनी चिंता भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कब्जा जमाए हुए हैं।  जिन वर्कर के पास संसाधन नहीं हैं वो वर्चुअल रैली कैसे करेंगे। जो छोटी पार्टियां हैं उन्हें कैसे स्पेस मिलेगा। इसी बात पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपना विरोध जारी किया है। उनकी माने तो यूपी में बड़े स्तर डिजिटल डिवाइड है। वे कहते हैं कि नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि यूपी में हर 100 में से सिर्फ 39 लोगों के पास इंटरनेट होता है। NSS की रिपोर्ट का भी हवाला देते हुए ओवैसी ने कहा कि सिर्फ चार प्रतिशत घरों में कंप्यूटर की सुविधा है। ये भी दावा किया गया है कि यूपी में 50 प्रतिशत महिलाओं ने कभी इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं किया। इस सब के अलावा AIMIM चीफ ने जोर देकर कहा कि सीमित लोगों के पास ही मोबाइल की सुविधा उपलब्ध है, ऐसे में डिजिटल प्रचार एक चुनौती बन सकता है। बसपा समर्थक और नेता भी डिजिटल कैंपेन से ज्यादा खुश नहीं हैं। उनकी माने तो हर पार्टी का अपना एक जनाधार है। सभी के अपने वोट हैं। ऐसे में बसपा को इस बात की चिंता है कि जो वर्ग उन्हें वोट करता है, वो इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करता। ऐसे में वे अपनी बात को जनता तक ठीक तरीके से नहीं पहुंचा पाएंगे।

वैसे इस चिंता के अलावा पार्टियों की तरफ से अपनी-अपनी जीत के भी बड़े दावे किए गए।इसी कड़ी में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्वास जताया कि एक बार फिर बीजेपी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनने जा रही है। ये चुनाव 80% बनाम 20% का है।उनकी सरकार राष्ट्रवाद, गुड गर्वनेंस और विकास के मुद्दे पर ये चुनाव लड़ने वाली है. अब यहां ये समझना जरूरी है कि सीएम ने बिना नाम लिए कहा है कि कुछ पार्टियां सिर्फ प्रदेश के 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट पर नजर रखी हुई हैं, लेकिन उनकी पार्टी 80 प्रतिशत मतों पर अपनी स्थिति मजबूत कर रही है।

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी दावा कर दिया कि यूपी और दूसरे राज्यों में बीजेपी की वापसी तय है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से भी अपील की कि वे हर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें और लोकतंत्र के महापर्व में अपनी हिस्सेदारी को और सक्रिय बनाएं। वैसे यूपी के अलावा पंजाब का रण भी काफी दिलचस्प चल रहा है। वहां भी एक चरण में चुनाव संपन्न होने जा रहे हैं। इस बार आम आदमी पार्टी में इस राज्य में अपनी पूर्व बहुमत वाली सरकार बनाने के सपने देख रही है।

भगवंत मान ने कहा है कि मार्च 10 को पंजाब के लोगों की जीत होने वाली है. यहां की जनता ने अरविंद केजरीवाल के सपनों पर विश्वास जताया है। उनके मुताबिक अब जनता उन सभी पार्टियों से मुक्त हो जाएगी जिन्होंने सिर्फ इस राज्य को लूटा है, ड्रग्स की तरफ खींचा है। इस सब के अलावा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड भी चुनाव के लिए तैयार है। एक चरण में वोट पड़ने वाले हैं. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 60 प्लस का नारा दे दिया है। उनके मुताबिक ना आप की झाड़ू को कुछ मिलने वाला और ना ही कांग्रेस कुछ कर पाएगी। उनकी माने तो विकास की लक्ष्मी सिर्फ बीजेपी के साथ ही आने वाली है।

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