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2023 में 9 राज्यों में होंगे चुनाव, तैयारियों में जुटी कांग्रेस-BJP, गुटबाजी बड़ी चुनौती

नई दिल्ली। हिमाचल विधानसभा चुनाव (himachal assembly elections) में जीत के बाद कांग्रेस (Congress) ने अगले साल होने वाले राज्यों के चुनाव की तैयारियां शुरु कर दी हैं। इसी क्रम में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Party President Mallikarjun Kharge) ने कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस (Karnataka Pradesh Congress) के नेताओं के साथ बैठक कर चुनाव तैयारियों का जायजा लिया है। वर्ष 2023 में कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित नौ राज्यों में चुनाव हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की हिदायत दी है। कर्नाटक में प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया के बीच गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने भी दोनों नेताओं को साथ लेकर चले थे।


कर्नाटक से पहले पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। त्रिपुरा में वर्तमान में भाजपा की सरकार है। चुनाव रणनीति को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री बदल दिया है। वहीं, कांग्रेस के कई नेताओं के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी की स्थिति कमजोर है।

यहां टीएमसी बनी विपक्ष
मेघालय और नागालैंड में भाजपा समर्थित सरकार है, वहीं मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है। मेघालय में कांग्रेस के कई विधायकों के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की वजह से टीएमसी विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई है। ऐसे में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर संगठन तैयार करना होगा।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, वर्ष 2023 में जिन राज्यों में चुनाव है, उनकी राज्यवार बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की जाएगी। पार्टी के सामने मध्य प्रदेश में जीत दर्ज करने के साथ राजस्थान और छत्तीसगढ में सत्ता बरकरार रखने की चुनौती है। इन तीनों प्रदेशों में पार्टी आपसी गुटबाजी से जूझ रही है। तेलंगाना में भी अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। भारत जोड़ो यात्रा को भी प्रदेश में काफी जनसमर्थन मिला।

भाजपा भी तैयार
लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले पूर्वोत्तर के चार राज्यों- त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय व मिजोरम के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा नए सिरे से रणनीति तैयार रही है। इसमें सबसे अहम क्षेत्रीय मुद्दों व स्थानीय नेतृत्व को महत्व देना है। इनमें से त्रिपुरा में भाजपा की अपनी सरकार है, जबकि नगालैंड व मेघालय में वह गठबंधन सरकारों का हिस्सा है।

भाजपा त्रिपुरा में पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी को लेकर सख्ती दिखा रही है, वहीं अन्य राज्यों में अपने गठबंधन को मजबूत करने पर जोर दे रही है। भाजपा नेतृत्व ने हाल में त्रिपुरा के नेताओं के साथ एक अहम बैठक की, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के साथ गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे।

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में पार्टी ने राज्य के नेताओं को साफ कर दिया है कि वे गुटबाजी को खत्म कर एकजुट होकर चुनाव लड़ें। गौरतलब है कि हाल में भाजपा हिमाचल में लगे झटके में उसकी अपनी खेमेबाजी का भी एक हिस्सा रहा है। त्रिपुरा में फरवरी में चुनाव होने है। इसके पहले नेतृत्व ने कुछ महीने पहले ही नेतृत्व में परिवर्तन कर विप्लव देव की जगह मानिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया है।

त्रिपुरा के साथ ही भाजपा इस साल चुनाव में जाने वाले नगालैंड, मेघालय व मिजोरम में भी अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है। नगालैंड व मेघालय में भाजपा गठबंधन सरकारों का हिस्सा है। दोनों राज्यों में भाजपा स्थानीय मुद्दों व नेताओं के साथ आगे बढ़ रही है।
सूत्रों के अनुसार इन दोनों राज्यों में पार्टी स्थानीय मजबूत नेताओं को अपने साथ लाने में जुटी है, ताकि वह अपनी ताकत को बढ़ा सके। मिजोरम में भाजपा सरकार में शामिल तो नहीं है, लेकिन वहां सत्तारूढ़ एमएनएफ एनडीए के साथ है। सूत्रों ने बताया कि भाजपा की कोशिश पूरे पूर्वोत्तर को आगे भी कांग्रेस शासन मुक्त रखने की है। पूर्वोत्तर के सात व सिक्किम को मिलाकर आठ राज्यों की कहीं भी कांग्रेस की सरकार नहीं है।

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