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Elon Musk का मंगल के लिए महाप्लान! ‘लाल ग्रह’ पर भेजेंगे 10 लाख लोग, लेकिन आसान नहीं राह

नई दिल्ली: चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) की सफलता ने अंतरिक्ष अन्वेषण (space probes) और पृथ्वी (Earth) से परे क्या है में एक नए सिरे से रुचि जगाई है. चंद्रमा और सूर्य (moon and sun) का अध्ययन करने के साथ-साथ, मनुष्यों के लिए रुचि का एक प्रमुख ग्रह हमारा पड़ोसी मंगल ग्रह है. सवाल यह भी है कि क्या इस ग्रह पर जीवन संभव हो सकता है. पृथ्वी पर बढ़ते जलवायु संकट के बीच मानवता का अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए अब इस ग्रह पर भी जीवन की तलाश की जा रही है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, NASA के वैज्ञानिक डॉक्टर मिशेल थेलर का कहना है कि मौजूदा तकनीक से मंगल ग्रह पर इंसान भेजना अभी संभव नहीं है. जबकि SpaceX के संस्थापक और अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) 2050 तक दस लाख लोगों को मंगल ग्रह पर ले जाने की इच्छा को लेकर आशान्वित हैं. जैसा कि हाल के एक इंटरव्यू में उन्होंने संकेत दिया है.

क्या है चुनौतियां?
लेकिन वास्तविक मिशन को सफल होने के लिए अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता है. हालांकि NASA ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘हमने अभी तक इसके बारे में सोचा भी नहीं है.’ मंगल ग्रह तक पहुंचने की प्रमुख चुनौतियों में से एक है इसकी दूरी. जो 34 मिलियन मील की यात्रा के बराबर है. दूरी चालक दल के अस्तित्व और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए एक बड़ी चुनौती है. वर्तमान में नासा का रोवर ग्रह के पतले वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड एकत्र कर रहा है और इसे ऑक्सीजन में परिवर्तित कर रहा है. ताकि अंतरिक्ष यात्री इसका उपयोग कर सकें, लेकिन अस्तित्व के लिए अन्य खतरे भी हैं.


मौजूद है काफी खतरनाक रेडिएशन
NASA ने कहा, ‘भले ही हम इतनी लंबी अवधि के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक सुरक्षित, कार्यात्मक जीवन समर्थन प्रणाली सुनिश्चित करते हुए दूरी तय कर ले. लेकिन मंगल ग्रह पर पहुंचने पर रेडिएशन हमें मार देगा. मौजूदा तकनीक के साथ, मंगल ग्रह पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा करना मुश्किल होगा. क्योंकि सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से रेडिएशन के कारण मनुष्य वहां पहुंचने से बहुत पहले ही मर जाएंगे.’

NASA के अनुसार मंगल की सतह अत्यंत प्रतिकूल है. पृथ्वी के विपरीत, मंगल पर बहुत पतला वातावरण है और ऊर्जावान कणों को विक्षेपित करने के लिए कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं है, इसलिए हमें अंतरिक्ष यात्रियों को विकिरण के दो स्रोतों से बचाने के लिए टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होगी. स्पेस एजेंसी ने आगे कहा, ‘इनमें से कुछ ऊर्जावान कण जिस सामग्री से टकराते हैं, उसमें मौजूद परमाणुओं को तोड़ सकते हैं, जैसे अंतरिक्ष यात्री, अंतरिक्ष यान की धातु की दीवारें, निवास स्थान… आदि.’

लाल ग्रह पर भेजे गए अंतरिक्ष यानों ने इसके मौसम, सतह की स्थिति और लैंडिंग तकनीक के बारे में डेटा प्रदान किया है. नासा ने कहा कि मंगल ग्रह पर खोज और चंद्रमा की यात्राएं आपस में जुड़ी हुई हैं. चंद्रमा नए उपकरणों और यंत्रों के परीक्षण करने का अवसर प्रदान करता है जिनका उपयोग मंगल ग्रह पर किया जा सकता है, जिसमें मानव आवास, जीवन समर्थन प्रणाली और प्रौद्योगिकियां शामिल हैं.

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