वॉशिंगटन (Washington)। अमेरिका (United States) में रह रहे भारतीय मूल के 78 वर्षीय इंजीनियर (Engineer) को नौकरी से सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया, क्योंकि वह भारत में मरणासन्न (Dying in India) अपने एक रिश्तेदार से वीडियो कॉल पर हिंदी में बात कर रहा था । अमेरिकी मीडिया ने यह खबर देते हुए बताया कि अलाबामा में मिसाइल डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर के साथ लंबे समय से अनिल वार्ष्णेय काम कर रहे थे और नौकरी से निकाले जाने के फैसले को उन्होंने अदालत में चुनौती दी है।
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, अनिल वार्ष्णेय अलबामा में हंट्सविली मिसाइल डिफेंस कांट्रैक्टर पार्सन्स कॉरपोरेशन में बतौर वरिष्ठ सिस्टम इंजीनियर काम करते थे। भारत में उनका एक रिश्तेदार मरणासन्न अवस्था में था और अंतिम बार उनसे बात करना और उन्हें देखना चाहता था। रिपोर्ट के मुताबिक, रिश्तेदार ने 26 सितंबर 2022 को उन्हें वीडियो कॉल किया। अनिल ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कि हो सकता है कि ये रिश्तेदार का अंतिम कॉल हो उसे रिसीव किया। वह एक खाली स्थान पर बैठकर बात करने लगे।
वार्ष्णेय के अनुसार, फोन उठाने से पहले उन्होंने सुनिश्चित किया कि कोई गोपनीय सामग्री या एमडीए (मिसाइल डिफेंस एजेंसी) या पार्सन्स के काम से जुड़ी कोई सामग्री उनके नजदीक नहीं हो। अदालत में दाखिल वाद के मुताबिक दोनों ने हिंदी में करीब दो मिनट तक बात की होगी तभी अन्य कर्मी ने वार्ष्णेय के पास आया और पूछा कि क्या वह वीडियो कॉल पर बात कर रहे हैं जिसकी उन्होंने पुष्टि की।
अन्य कर्मी ने वार्ष्णेय से कहा कि फोन कॉल की अनुमति नहीं है जिसके तुरंत बात उन्होंने फोन काट दिया और यह गुप्ता से उनकी आखिरी बातचीत थी। इममें एमडीए के प्रतिनिधि के तहत रक्षामंत्री लॉयड जे ऑस्टीन को भी नामजद किया गया है। पिछले साल वार्ष्णेय को नौकरी से निकाल दिया गया था। नौकरी से निकाले जाने के फैसले को उन्होंने अदालत में चुनौती दी है। वार्ष्णेय उन्होंने संघीय अदालत में दाखिल वाद में आरोप लगाया है कि उनके साथ व्यवस्थागत भेदभाव किया गया।
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