भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मनरेगा में मिला भरपूर रोजगार

भोपाल। मप्र में भारी वित्तीय संकट के बीच कोरोना वायरस के वैश्विक संकट के समय रोजी-रोटी के उत्पन्न संकट से निजात दिलाने के लिए मनरेगा ने लाज रखी है। खासकर इस अवधि में मनरेगा उन लोगों के लिए वरदान साबित हुई है, जो रोज मेहनत कर कमाते और खाते हैं। मप्र में पिछले 4 माह के दौरान 58 लाख लोगों को मनरेगा में रोजगार मिला है।
गौरतलब है कि 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियां थमने के कारण बड़ी संख्या में श्रमिकों ने पलायन किया। ये श्रमिक शहरों से गांवों में पहुंचे। बेरोजगार होकर गांव पहुंचे श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में मप्र सरकार ने मनरेगा को माध्यम बनाया और लोगों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराना शुरू किया।

58 लाख को मिला काम
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने गांवों में पहुंचे श्रमिकों का सर्वे कराकर उनको मनरेगा में रोजगार उपलब्ध कराया। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले चार माह में प्रदेश में 57,83,522 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। अब तक 12 करोड़ 30 लाख मानव दिवस कार्य हुए हैं। जबकि पिछले साल पूरे साल भर में 19 करोड़ 50 लाख मानव दिवस कार्य हुए थे। पिछले वर्ष करीब 11 लाख श्रमिकों को ही मनरेगा के तहत प्रतिदिन कार्य मिला था।

1366 करोड़ मजदूरी का भुगतान
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल से जुलाई तक प्रदेश में मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को 2213 करोड़ रूपए की राशि मजदूरी के रूप में बांटी गई है, वहीं 665 करोड़ रूपए सामग्री पर खर्च की गई है। जबकि पिछले पूरे साल में 1,366.58 करोड़ रूपए मजदूरी दी गई थी।

1253 ग्राम पंचायतों में कोरोना
प्रदेश में करीब 23,000 के आसपास पंचायतें हैं और लगभग सभी पंचायतों में काम चल रहे थे। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण 1253 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्य फिलहाल रोक दिए गए हैं। इन गांवों के संक्रमणमुक्त होते ही यहां फिर से काम शुरू कर दिए जाएंगे।

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