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Expensive crude oil side effects: महंगे हुए खाद्य तेल और मसाले

नई दिल्ली। लगातार बढ़ रहे कच्चे तेल (Croud Oil) के दामों के साइड इफेक्ट्स (side effects) अब दिखने लगे हैं। कच्चे तेल (Croud Oil) की बढ़ती कीमतों की वजह से पिछले 15 दिनों में हल्दी और मिर्च समेत कई मसालों की कीमतें 6 से 7 फीसदी तक बढ़ गई हैं। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से दुनिया के कई देशों ने बायो डीजल का इस्तेमाल बढ़ा दिया है।

पिछले 15 दिनों में कच्चे पाम तेल की कीमतें 1,040 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,110 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गईं हैं। इसी तरह सोयाबीन तेल की कीमतें 1,190 डॉलर प्रति टन से 1,270 डॉलर प्रति टन हो गई हैं। मसालों का उत्पादन कम रहने के अनुमान और ज्यादा निर्यात की मांग से इनकी कीमतों में इजाफा हो रहा है।


घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत आयातित खाद्य तेलों पर निर्भर है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-2021 में बायो-डीजल के उत्पादन के लिए 8.3 अरब पाउंड सोयाबीन तेल का इस्तेमाल होने की उम्मीद है। यह पिछले वित्त वर्ष में लगभग 7.85 बिलियन पाउंड से करीब 6 फीसदी ज्यादा है। अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों में बायो डीजल में पाम तेल और सोयाबीन तेल का उपयोग किया जाता है।

जानकारों का कहना है कि अगर जल्दी ही कच्चे तेल की कीमतों पर लगाम नहीं लगी तो खाद्य तेलों और मसालों की कीमतें भी सातवें आसमान को छूने लगेंगी। (एजेंसी, हि.स.)

 

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