ब्‍लॉगर

कर्नाटक में कांग्रेस के झूठे वादे

– मनोहर यडवट्टि

भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में आज सत्तारूढ़ कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस/आईएनसी) अपने 2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय किए गए चुनावी वादों और गारंटियों को लागू करने में विफल दिख रही है। ऐसा लगता है कि शायद, सत्ता में आने की जल्दी में पार्टी प्रबंधकों ने कभी भी ड्राइवर की सीट संभालने की स्थिति में बाद के परिणामों के बारे में नहीं सोचा था। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जब यह कहते हैं कि सभी वादे पूरे करने के लिए नहीं होते हैं। चुनाव से पहले न जाने क्या-क्या आश्वासन जनता को दिए जाते हैं, उन्हें पूरा करने का वादा भी किया जाता है। किंतु इसका मतलब यह नहीं कि सभी वादे पूरे करने जरूरी हैं। वस्तुत: आज यह स्वीकार करके उन्होंने साबित कर दिया कि किसी भी चुनाव से पहले किए जाने वाले राजनीतिक पार्टियों के सभी वादे और बड़ी-बड़ी बातें केवल सार्वजनिक संवाद के लिए होती हैं, क्रियान्वयन के लिए नहीं।


राज्य में सत्ता में आने के पूर्व कांग्रेस सरकार ने यहां आम आदमी से जिन पांच गारंटियों 200 यूनिट मुफ्त बिजली आपूर्ति। परिवार की महिला मुखिया को हर महीने 2,000 रुपये। बीपीएल परिवार के सभी सदस्यों को 10 किलो मुफ्त चावल। बेरोजगार डिग्री धारकों के लिए 3,000 रुपये प्रति माह और दो साल के लिए डिप्लोमा धारकों के लिए 1,500/ रुपये प्रति माह और राज्य सरकार की बसों में महिलाओं के लिए निःशुल्क बस यात्रा का वादा किया था। इसी तरह से अन्य प्रमुख वादों को याद करें तो कांग्रेस पार्टी ने एससी के लिए आरक्षण को 15% से बढ़ाकर 17%, एसटी के लिए 3% से 7%, अल्पसंख्यक आरक्षण को 4% तक बहाल करने और लिंगायत, वोक्कालिगा और अन्य समुदायों के लिए आरक्षण बढ़ाने और संविधान की 9वीं अनुसूची में इसे शामिल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी थी । किंतु इन सभी वादों को पूरा करने के मामले में पांच गारंटी को छोड़कर कर्नाटक कांग्रेस सरकार बहुत पीछे है।

राज्य में आज खेती चौपट होती दिखती है। खेतों में तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए श्रमिकों को ढूंढना मुश्किल हो गया है, जिसके कारण से छोटे और मध्यम किसानों को फसलों की बुआई, रखरखाव और कटाई के बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है । दैनिक मजदूरी बहुत बढ़ गई है। जिस पर तुमकुरु जिले के मधुगिरि तालुक में श्रावणदानहल्ली के किसान एसजी गोविंदप्पा की तरह ही अनेकों का कहना रहा- “अगर इस तरह की मुफ्तखोरी जारी रही तो जल्द ही एक दिन ऐसा आएगा जब खाद्यान्न उगाना तो दूर, एक सामान्य किसान को नियमित खेती को भी अलविदा कहना पड़ेगा।”

शक्ति योजना के नाम से महिलाओं के लिए पूरे राज्य में फ्री बस सेवा की जो स्कीम लॉन्च की गई, आज उसने यहां कांग्रेस की अव्यवस्था को उजागर कर दिया है। वस्तुत: 11 जून को पूरे तामझाम के साथ महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा को कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने लॉन्च किया था, लेकिन तब से अब तक आए दिन ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं जो इस बात की तस्दीक करते हैं कि इस योजना को लॉन्च करने से पहले जिन आधारभूत बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए था, उसे नजरंदाज कर दिया गया। मैसूर की एक बस में इतनी महिलाएं चढ़ गईं कि सीट के लिए एक-दूसरे से मारपीट शुरू हो गई। धारवाड़ में एक बस कंडेक्टर को पैसेंजर्स को टिकिट देने के लिए बस के अंदर ही परेशान होना पड़ा। कोप्पल जिले से एक ऐसी तस्वीर सामने आई जब बस चालक ने स्टॉप पर बस नहीं रोकी, तो एक महिला ने बस पर पत्थर फेंककर उसका शीशा तोड़ दिया।

कई धार्मिक स्थलों में बसों में जगह को लेकर आए दिन धक्का-मुक्की और हाथापाई हो रही है । जिन पुरुषों को स्वास्थ्य संबंधी कोई संकट है, उन्हें सीटें नहीं मिल पाने के कारण परेशान होना पड़ रहा है। वे ठीक से खड़े होने के लिए भी संघर्ष करते देखे जा सकते हैं । कांग्रेस सरकार की अव्यवस्था का परिणाम यहां यह भी देखने को मिल रहा है कि राज्य के अधिकांश तीर्थस्थल जो भक्तों को मुफ्त में खाना खिलाने के लिए जाने जाते थे, उन्हें दिन में एक निश्चित समय के बाद ऐसा करना बंद करना पड़ा है । यह बंदी अपरिहार्य हो गई, क्योंकि दिन-रात तीर्थयात्रियों में खासकर महिलाओं की भारी भीड़ कभी रुकने वाली नहीं दिखती। ऐसे में पुरुष यात्री, भक्तगण अब कांग्रेस पार्टी की सरकार को चुनने पर पछतावा करते हैं।

यहां यह समझ नहीं आता कि एक तरफ आश्चर्यजनक तौर पर सांप्रदायिक दंगों के कई मामले वापस लिए जा रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस सरकार 1992 के राम जन्म भूमि आंदोलन के संबंध में कारसेवकों के खिलाफ दायर कुछ मामलों को फिर से खोलने की हद तक गिरती दिखी। श्रीकांत पुजारी, जो उस समय एक युवा थे और अब एक अधेड़ हैं, को इस कारण से भारी कष्ट सहना पड़ा, उन्हें कांग्रेस ने गिरफ्तार करा दिया । वह तो अच्छा है कि देश में अभी न्याय व्यवस्था है जो बाद में स्थानीय सिविल कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी, अन्यथा पता नहीं उनके साथ इस कांग्रेस सरकार में क्या-क्या जुल्म ढाए जाते।

इतना ही नहीं कांग्रेस सत्ता में आने के बाद से कई सोशल नेटवर्किंग साइटें बहुसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलने वाली और अफवाहों को बढ़ाने वाली एक शक्तिशाली हथियार में बदल गई हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण, मैसूरु कांग्रेस विधायक तनवीर सैत ने 2020 बेंगलुरु दंगों के बाद की गई गिरफ्तारियों पर फिर से विचार करने के लिए गृहमंत्री डॉ. जी परमेश्वर को पत्र लिखा जाना है। इस बीच उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर 2022 हुबली दंगा मामलों को वापस लेने की मांग की ।

सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार उस समय एक और बड़े विवाद में फंस गई जब उसने मौलाना आज़ाद/मोरारजी देसाई स्कूलों के निर्माण के लिए बेंगलुरु में प्रमुख भूमि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को हस्तांतरित कर दी, जबकि यह भूमि मुथोजी राय सिंधिया द्वारा 1936 में एक पशु चिकित्सालय के लिए मूल रूप से दान की गई भूमि है, जिसका कि उपयोग पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग द्वारा किया ही किया जाना चाहिए । अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को खुश करने की फिर से कोशिश करती हुए कांग्रेस यहां दिख रही है, जोकि किसी भी लोककल्याणकारी राज्य के हित में नहीं है। इसलिए अच्छा यही है कि वह सभी को बराबरी की नजरों से देखे।

Share:

Next Post

आईपीएल 2024-बेंगलुरु पहुंचे कोहली, आरसीबी कैंप से जुड़े

Tue Mar 19 , 2024
नई दिल्ली (New Delhi)। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) (Royal Challengers Bangalore – RCB) के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली (Star batsman Virat Kohli) इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) ( Indian Premier League -IPL) के आगामी सीज़न पहले सोमवार को बेंगलुरु पहुंचे। आरसीबी ने इंस्टाग्राम पर कोहली के आगमन की घोषणा की। भारत और आरसीबी के धुरंधर बल्लेबाज […]