उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

शहर में मिलेगी गाय के गोबर से बनी गणेश प्रतिमाएं

  • दीपक, धूपबत्ती, हवन कुंड अन्य गोमय उत्पादों की भी अच्छी हो रही बिक्री- उज्जैन सहित रतलाम, कालापीपाल की इंडस्ट्री से आ रही हैं पूजन सामग्री

उज्जैन। गाय के गोबर से तैयार होने वाली पूजन सामग्रियों की शहर के बाजारों में बहुत मांग बढ़ गई है। इसमें गोबर से बने दीपक, धूपबत्ती, छोटे हवन कुंड विशेष हैं। इसका मुख्य कारण है कि ये गोमय उत्पाद प्राकृतिक होने के साथ-साथ पूर्णत: उपयोगी होते हैं। इसके अलावा गोबर से बनी गणेश प्रतिमाएं भी इस बार शहर में बिकने के लिए आएगी।

गायत्री शक्ति पीठ परिवार के मीडिया प्रभारी देवेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उज्जैन में भी गाय के गोबर से उत्पाद बनाने की शुरुआत हो चुकी थी। उज्जैन के पिंगलेश्वर में स्थापति एक निजी इंडस्ट्री द्वारा यह नवाचार शुरू किया गया हैं जो गाय के गोबर से बने उत्पादों का निर्माण कर रही हैं। इसके अलावा गायत्री शक्ति पीठ की रतलाम और कालापीपल स्थित इंडस्ट्री से भी शहर में गोमय उत्पात बिकने के लिए आ रहे हैं। ये सभी गाय के गोबर का सदुपयोग करते हुए लोगों के लिए भी रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं। उनके इस पूरे काम में सही मायनों में गौ सेवा भी हो रही है। पिछले दो सालों से शहर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी हैं। ऐसे में गोबर से बने उत्पादों का भी उपयोग बढ़ा हैं। इसमें दीपक, धूप बत्ती, छोटे हवन कुंड विशेष हैं। पिछले साल गाय के गोबर से बने गणेश जी भी शहर में बिकने आए थे। गायत्री परिवार के साथ पर्यावरण प्रेमियों में भी इसको लेकर खासा उत्साह देखने को मिला था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस बार भी बड़ी संख्या में गोबर से बनी गणेश प्रतिमाएं शहर में बिकने के लिए आएगी। शहर में अंकपात मार्ग स्थित गायत्री शक्ति पीठ मंदिर, आरटीओ कार्यालय के सामने श्री महाकाल साहित्य भंडार पर गणेश मूर्तियां और अन्य पूजन सामग्रियां उपलब्ध करवाई जाएगी।


गाय का गोबर सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक
श्री श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसी मान्यता है गाय का गोबर बहुत ज्यादा शुभ होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है। यदि आप गोबर का इस्तेमाल किसी भी कार्य में करते हैं तो आपको उसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। इसके अलावा कृषि में रासायनिक खाद्य और कीटनाशक पदार्थ की जगह गाय का गोबर इस्तेमाल करने से जहां भूमि की उर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है। दूसरी ओर पैदा की जा रही सब्जी, फल या अनाज की फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। खेत जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और गौमूत्र से भूमि में स्वत: खाद डलती जाती है।

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